चंपारण की खबर::ढाका में राजद और भाजपा के बीच कांटे के मुकाबले के आसार, जनसुराज लड़ाई को बना रहा है त्रिकोणीय

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मोतिहारी, राजन द्विवेदी।

जिले के ढाका विधानसभा क्षेत्र में इस बार उम्मीदवारों के बीच की लड़ाई दिलचस्प हो गई है।इस क्षेत्र के कुछ प्रबुद्ध एवं राजनीतिक समझ रखने वाले लोगों की मानें तो यहां भाजपा के पवन जायसवाल और राजद के फैसल रहमान के बीच कांटे का टक्कर होने वाला है। पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार पवन जायसवाल को लगभग एक लाख मत मिले थे जबकि इनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के फैसल रहमान को करीब नब्बे हजार मत मिले थे। इस बार भी मुकाबला दिलचस्प है। इधर जनसुराज के उम्मीदवार डॉ एलबी प्रसाद लड़ाई को दिलचस्प एवं त्रिकोणीय बनाने में रात-दिन पसीना बहा रहे हैं। जनता के बीच रिस्पांस भी मिल रहा है लेकिन यह वोट में कितना तब्दील हो पाएगा यह देखने वाली बात होगी। हालांकि डाक्टर एलबी प्रसाद अपने स्वजातीय मतों में मजबूत सेंधमारी करने की कोशिश में लगे हैं।इनका प्रयास कुछ सार्थक होता दिख भी रहा है। इधर हालही में जनसुराज के प्रणेता प्रशांत किशोर भी ढाका में रोड शो कर युवाओं में उत्साह भरे हैं लेकिन युवाओं का इन्हें कितना मत मिलेगा यह अभी स्पष्ट नहीं है। भाजपा उम्मीदवार पवन जायसवाल भी रात दिन गांव गलियों में घूम घूम कर मतदाताओं के बीच अपनी उपलब्धियों को बता रहे हैं। कहते हुए वोट मांग रहे हैं कि मैंने ढाका के विकास के लिए काम किया है, मजदूरी चाहिए। दूसरी ओर सरकार की उपलब्धियां भी बता रहे हैं। वृद्धा पेंशन में बढ़ोतरी, महिलाओं को दस दस हजार रुपए और फ्री बिजली की तोहफा लोगों को बता रहे हैं। इसके अतिरिक्त क्षेत्र में सड़कों का जाल, हाईस्कूल की संख्या गिनाते हुए अपनी उपलब्धियां बता रहे हैं। नीतीश कुमार के सुशासन और नरेंद्र मोदी की करिश्माई व्यक्तित्व को भी अपने लिए फायदेमंद साबित कर जीत के प्रति आश्वस्त दिख रहे हैं। दूसरी तरफ राजद उम्मीदवार भी मतदाताओं के बीच जाकर भाजपा सरकार की विफलताएं बता रहे हैं। ढाका विधानसभा क्षेत्र से भ्रष्टाचार को राजद प्रत्याशी फैसल रहमान बड़ी विफलता बता रहे हैं।उनका कहना है कि यहां स्थानीय स्तर पर भयंकर भ्रष्टाचार है। चारों तरफ कमीशन खोरी और रिश्वतखोरी व्याप्त है जिससे जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। इस भ्रष्टाचार से लोग मुक्त होना चाहते हैं।

इसलिए बदलाव करना चाह रहे हैं और राजद को सपोर्ट कर रहे हैं। इधर जनसुराज पलायन और शिक्षा को बड़ा मुद्दा बताते हुए लोगों के बीच जा रहें हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि लोग व्यवस्था परिवर्तन को तैयार हैं और जनसुराज को समर्थन करेंगे। लेकिन इन सबके अतिरिक्त यहां वोटों का एक अलग गणित है। यहां भी वोटों का ध्रुवीकरण होता रहा है। भाजपा के भाजपा के समर्थन में यहां हिन्दूओं का परंपरागत मत मिलता रहा है तो राजद के पक्ष में मुस्लिम और यादव मतों की गोलबंदी होती रही है। हालाकि मतों में बिखराव भी होते रहे हैं भले ही उनका प्रतिशत कम रहा हो। लेकिन यह बिखराव जीत,हार को प्रभावित करता रहा है। ढाका में महरूम मोतिउर्रहमान दस वर्षों तक विधायक रहे। उनके साथ अल्पसंख्यक मतदाताओं के अतिरिक्त हिन्दू मतदाताओं खासकर अगड़ी जातियों का मत उन्हें मिलता रहा जिससे वे विधायक बनते रहे। हालांकि भाजपा के अवनीश कुमार सिंह के विधायक बनने के बाद मोतिउर्रहमान ढाका से चुनाव नहीं जीत सके लेकिन मुख्य प्रतिद्वंद्वी बने रहे। यहां के लोग कहते हैं कि भले ही मोतिउर्रहमान विधायक में चुनाव हारे लेकिन ढाका का जन नेता जीवनपर्यंत बने रहे। अभी विधायक तो बन रहें हैं लेकिन ढाका में कोई जन नेता नहीं बन पाए। बहरहाल, इस बार ढाका के चुनाव का परिदृश्य बदला हुआ है। भाजपा विधायक मेहनती हैं। क्षेत्र के विकास के लिए प्रयत्नशील भी हैं लेकिन उनपर वादी का आरोप लगते रहे हैं। इसके अतिरिक्त ढाका में व्याप्त घूसखोरी और कमीशन खोरी रोकने के प्रति भी इनकी उदासीनता का लोग चर्चा करते हैं।इस चुनाव में भाजपा के परंपरागत मतों में बिखराव की संभावना है तो राजद के मतों में भी टूट दिख रही है। जनसुराज एवं ओवैसी के उम्मीदवार इन दोनों प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के मतों में सेंधमारी करने में जुटे हैं। जिनके मतों में अधिक बिखराव होगा उन्हें नुकसान पहुंचने की प्रबल संभावना है। फिर भी राजद और भाजपा में जोरदार और रोमांचक मुकाबला के आसार हैं। वैसे चुनाव के एक दो रोज पहले भी समीकरण बनते बिगड़ते रहते हैं।