
मोतिहारी / राजन द्विवेदी।
कला – संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार द्वारा नामित विषय विशेषज्ञ एवं रिसोर्स पर्सन प्रसाद रत्नेश्वर ने राज्यभर के कला – संस्कृति पदाधिकारियों प्रशिक्षण देते हुए बताया कि बिहार की सांस्कृतिक विरासत अनमोल है। यह हमारी पहचान भी है। बिहार सरकार के ज़िला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी कला की पृष्ठभूमि से आये अधिकारी हैं। उनसे अपेक्षा है कि वे लोक- संस्कृति के अस्तित्व एवं उसकी मौलिकता को बचाये रखने के लिए शोधकार्य करें। अपने कार्यक्षेत्र में मौजूद विरासतों एवं धरोहरों की प्रमाणिकता एवं उनके राष्ट्रीय महत्व से लोगों को अवगत करायें। बिहार के मेलों, त्योहारों, पर्यटन -स्थलों एवं उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय
मानचित्र पर लाने के लिए हर संभव प्रयास करें। बिहार में इसकी प्रचुर संभावनाएं हैं।
इसी प्रकार क्षेत्रीय कला – प्रतिभाओं की समय से पहचान कर मंच उपलब्ध कराना कलाकार, कला एवं राज्य तीनों के हित में है। पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, कोलकाता, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स केई कलाविद सदस्य एवं साहित्यकार प्रसाद रत्नेश्वर ने कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार के बुलावे पर गुरुवार को दशरथ मांझी श्रम एवं नियोजन अध्ययन संस्थान, पटना जाकर प्रशिक्षण प्रदान किया।
