वाणावर में कई त्रृषि गुफा आज भी है दर्शनीय।
जहानाबाद (बिहार) से ब्यूरो चीफ मनोहर सिंह का रिपोर्ट।
जहानाबाद –जिले के वाणावर में प्रथम मानव निर्मित गुफा प्राणायाम , साधना और ध्यान के लिए सर्वोत्तम है- योग साधकों के लिए इससे बेहतर स्थान बिहार में शायद दूसरा नहीं है- यहाँ अनेक तरह के प्राकृतिक एवं मानव निर्मित गुफ़ाओ की संख्या है जो मेडिटेशन के लिये अत्यंत ही अनुकूल और मन तथा आत्मा को आकर्षित करने वाला है उक़्त बातें योग-प्राणायाम में हरिद्वार से मुख्य शिक्षक का प्रशिक्षण लेकर लौटे पतंजलि युवा भारत के सोशल मीडिया प्रभारी सह मगध चेतना मंच के अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने एक दिवसीय बाराबर प्रवास के उपरांत अपनी बात रखी। विदित हो कि आज से २२९३ वर्ष पूर्व में भारत के महान सम्राट अशोक प्रियदर्शी द्वारा आजीवक सम्प्रदाय के साधकों के लिए प्रथम मानव निर्मित यह गुफा का निर्माण कराया गया था ,, बाद में उनके पौत्र दशरथ ने भी यहाँ से दो- ढाई किमी. दूर नागार्जुन के पहाड़ी में भी तीन गुफा बनवाये थे, इसके अतिरिक्त एक “विश्व झोपड़ी” गुफा का भी निर्माण पतलगंगा के पास किया गया है, ये सब वैज्ञानिक एवं अध्यात्म का सर्वोच्च उदाहरण है ।
मगध चेतना मंच के अध्यक्ष अनिल ने अपने साथ लगभग तीन दर्जन विद्यालय के बच्चों और शिक्षकों को भी गुफा के अन्दर ले जाकर न सिर्फ़ दिव्य व भव्य गुफा दर्शन कराया बल्कि योग के कुछ टिप्स और ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली शब्द “ओम” के उच्चारण भी करवाए तथा गुफा के बारे में विस्तृत जानकारी दी ।
उन्होंने बताया कि बाराबर की गुफाएं भारत के बिहार राज्य में स्थित एक प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल हैं। ये गुफाएं आजीवक धर्म के अनुयायियों के लिए उनके ध्यान हेतु बनाई गई थीं और ये गुफाएं अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं।
बाराबर की गुफाएं आजीवक धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक हैं।एक तरह से इस धर्म के उदगम स्थल यही है।
इन गुफाओं में से चार प्रमुख गुफाएं हैं:
1. _कर्ण चौरा गुफा_: यह गुफा धर्म के 19वें तीर्थंकर को समर्पित है।
2. _लोमस ऋषि गुफा_: यह गुफा धर्म के एक प्रमुख संत लोमस ऋषि को समर्पित है।
3. _सुदामा गुफा_: यह गुफा भगवान कृष्ण के मित्र सुदामा को समर्पित है।
4. _पर्वाती कुटीर गुफा_: यह गुफा इस धर्म के एक प्रमुख तीर्थंकर को समर्पित है।
बाराबर की गुफाएं अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं में उस समय की भाषा ब्राह्मी- आर्मियेक में लोमश ऋषि द्वार पर लिखा है, कई महत्वपूर्ण अवशेष और कलाकृतियां हैं। ब्रज लेप से गुफा के अंदर पॉलिश किया हुआ है जो अब भी चिकनाहट को अपने में समेटे है । इस सम्पूर्ण कार्यक्रम में सन राइज पब्लिक स्कूल, मई जहानाबाद स्कूल के निर्देशक महेश प्रसाद उर्फ पप्पू जी सह निर्देशिका महोदया रंजना कुमारी , प्रधानाध्यक अंकित राज,सूरज कुमार निर्मल,विजय गिरी,चंदन कुमार,रौशनी कुमारी, सुजाता कुमारी,नीतिल कुमार,सन्नी कुमार,कंचन कुमारी,कोमल कुमारी, नीरा देवी समाजसेवी सह पूर्व वार्ड सदस्या, विनय कुमार,किरण देवी और व्यास जी आदि शामिल थे।