स्वागत वक्तव्य देते हुए और संगोष्ठी को संबोधित करते हुए अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. इक़बाल हुसैन ने धर्म में आत्महत्या के रोकथाम संबंधी पहलुओं पर बहुत ही गंभीर चर्चा की । रोटरी क्लब, मोतिहारी के अध्यक्ष और कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. विवेक गौरव ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए आत्महत्या के समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य की चर्चा की । भारतीय सन्दर्भ में बढ़ रही संवाद-हीनता की भी इन्होंने आलोचना की।
आज युवाओं में आत्महत्या के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं । इस विसंगति को ध्यान में रखते हुए संगोष्ठी में युवा छात्र – छात्राओं को संबोधित करते हुए अतिथि वक्ता एवं मनोवैज्ञानिक डॉ. नगमा ज़मीर ने आत्महत्या के कारणों की चर्चा करते हुए इसके रोकथाम की संभावनाओं पर अपनी बात रखी । इन्होंने आत्महत्या के पीछे के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारणों पर विचार करते हुए तथ्यपरक आंकड़ों के माध्यम से इस गंभीर समस्या की तरफ ध्यान आकर्षित किया । इन्होंने परिवार, समाज और संबंधों में संवाद के महत्त्व पर भी अपनी बात रखी । डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी ने अपने वक्तव्य में मानसिक मजबूती को महत्त्व देते हुए आत्महत्या के रोकथाम पर अपने विचारों को रखा । मुंशी सिंह विधि महाविद्यालय के संकायाध्यक्ष डॉ. मयंक कपिला ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आत्महत्या के कानूनी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की । कार्यक्रम का कुशल संचालन मुंशी सिंह महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष सह एन. एस. एस. और सेहत केंद्र इकाई के संयोजक डॉ. अमित कुमार ने किया और धन्यवाद ज्ञापन मनोविज्ञान विभाग में कार्यरत आसिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विदुषी दीक्षित ने किया । इस संगोष्ठी में प्रो. एम. एन. हक, डॉ. शफ़ीक़ुर रहमान, श्री ए. के. चौबे सहित विभिन्न विभागों के छात्र- छात्राओं की उपस्थिति सराहनीय रही । यह जानकारी मुंशी सिंह महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी और हिंदी विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गौरव भारती ने दी है ।