मोतिहारी / राजन द्विवेदी ।
अंतरराष्ट्रीय शांति नोबेल पुरस्कार एवं भारत रत्न विजेता मदर टेरेसा की 112 वीं जयंती मनाई गई। वही सोमवार को देश के चर्चित सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने अपनी अनोखी कलाकृति के माध्यम से याद की। बिहार इस कलाकार मधुरेंद्र कुमार ने 5 घंटो के कठिन परिश्रम के बाद दुनियां के सबसे छोटी 3 सेमी. वाली पीपल के पत्तों पर मदर टेरेसा की बेमिसाल आकृति उकेर उनके जयंती पर नमन की।
सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने मीडिया को बताया कि शांति नोबेल पुरस्कार एवं भारत रत्न मदर टेरेसा समाज को नई दिशा देने वाली और गरीबों, अनाथों, असहायों के दुख-दर्द के लिए जीने वाली प्रेम, दया, करुणा की प्रतिमूर्ति थी। उन्होंने बचपन से ही गरीबी का दौर देखी थी। शिक्षा प्राप्त करते हुए 12 वर्ष की आयु में उन्होंने संकल्प ली थी कि वह अपना पूरा जीवन दूसरों की सेवा में लगाएंगी और 18 वर्ष की आयु में सिस्ट ऑफ लोरेटो में शामिल को गई थी। एक बार वह भारत घूमने आई और उनके मन में भारत के गरीबों को देखकर सेवा का भाव उभरा इसके बाद वह कोलकाता आ गई और दूसरों की सेवा करते हुए 1948 में भारत की नागरिकता ले ली। बता दें कि मदर टेरेसा ने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की। वर्ष 1962 में भारत ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया और 1979 में मानव कल्याण कार्य हेतु उन्हें अंतरराष्ट्रीय नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया।
मौके पर उपस्थित दर्जनों वरिष्ट लोगों ने भी मधुरेंद्र की कला का सराहना की। वही मदर टेरेसा की जयंती पर उन्हें याद करते लोगों ने कहा कि उनकी जीवन के संघर्ष पथ पर चलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती हैं।
मौके पर उपस्थित दर्जनों वरिष्ट लोगों ने भी मधुरेंद्र की कला का सराहना की। वही मदर टेरेसा की जयंती पर उन्हें याद करते लोगों ने कहा कि उनकी जीवन के संघर्ष पथ पर चलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती हैं।