
मोतिहारी, राजन द्विवेदी
प्रदोषकाल एवं रात्रि में अमावस्या तिथि मिलने के कारण विश्व प्रसिद्ध दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर सोमवार को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाएगा तथा शेष रात्रि अर्थात् भोर में सूप बजाकर दरिद्रा का निस्सारण एवं माता लक्ष्मी का पदार्पण कराया जाएगा। दीपावली का इतिहास अति प्राचीन है! वेद,पुराण एवं अन्य हिन्दू धर्मग्रंथों में इसका उल्लेख तथा धन की अधिष्ठात्री देवी माँ लक्ष्मी के स्वरूप और महिमा का व्यापक वर्णन मिलता है। देवी लक्ष्मी सम्पूर्ण ऐश्वर्य,चल-अचल संपत्ति,यश-कीर्ति एवं सफल सुख-वैभव को देने वाली साक्षात् नारायणी हैं। वही गणेश जी समस्त विघ्नों के नाशक,अमंगलों को दूर करने वाले और सद्विद्या व बुद्धि के दाता हैं। कुबेर धनाध्यक्ष हैं,ये धन संचय को संभव बनाते हैं। दीपावली के दिन संयुक्त रूप से इनकी पूजा-अर्चना करने से परिवार में धन-संपत्ति का सुख चिरकाल तक बना रहता है।
यह जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी। उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन से लक्ष्मी का प्रादुर्भाव के उपलक्ष्य,भगवान श्रीराम के अयोध्या वापस लौटने के उत्सव,नरकासुर के वध की खुशी व राजा बलि के राज्य में दीपमालिका करने के नियम आदि कारणों से दीपावली का पर्व मनाया जाता है। कार्तिक कृष्णपक्ष अमावस्या के दिन ही समुद्र मंथन से माँ लक्ष्मी का प्रादुर्भाव होने के कारण जब पुनः तीनों लोकों में खुशहाली लौट आयी थीं तब त्रिदेव सहित सभी देवी-देवताओं, राक्षसों तथा मनुष्यों ने भी माँ लक्ष्मी का विभिन्न प्रकार से पूजन किया एवं दीप जलाकर प्रकाश किया। इसलिए इसदिन इनका पूजन धन-समृद्धि और सौभाग्य प्राप्ति के लिए किया जाता है।
प्राचार्य पाण्डेय ने बताया कि दीपावली के दिन लक्ष्मी एवं दरिद्रा दोनों बहनें साथ-साथ निकलतीं हैं। जहाँ प्रकाश व प्रसन्नता होती है वहाँ लक्ष्मी और जहाँ अंधकार तथा कलह होता है वहाँ दरिद्रा निवास करने लगतीं हैं। ऐसी मान्यता है कि इसदिन ऋषि-मुनि एवं पूर्वजों ने अपने घरों की सफाई कर पंक्ति में अनेक दीप जलाने की परंपरा का निर्वहन करते आए हैं।
-पूजन के लिए प्रशस्त शुभ मुहूर्त्त (स्थिर लग्न)
(1) कुम्भ लग्न- दिन में 02:13 से 03:44 बजे तक
(2) वृष लग्न- प्रदोषकाल (सायंकाल) में 06:51 से रात्रि 08:48 बजे तक
(3) सिंह लग्न- महानिशा (अर्धरात्रि) में 01:19 से 03:33 बजे तक ।
– विशेष पूजन सामग्री
लक्ष्मी पूजा में विशेष रूप से कमलपुष्प,कमलगट्टा,नारियल,हल्दी गाँठ,खड़ा धनिया,मजीठ,कौड़ी,धान का लावा,दही एवं गुड़ आदि का प्रयोग करना चाहिए। इसदिन विधिवत पूजन के पश्चात् श्रीसूक्त,पुरुषसूक्त,अन्नपूर्णा स्तोत्र तथा कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत कल्याणकारी होता है।
– कैसा जलायें दीपक:-
दीपावली के दिन घी का दीपक उत्तम,सरसों या तिल का तेल मध्यम तथा केरोसिन तेल का दीपक निकृष्ट माना गया है।