
गुरुवार को प्रातः मंदिर में श्री आदिनाथ भगवान की प्रतिमा को पाण्डुकशिला पर विराजमान कर अभिषेक और शांतिधारा की गई। तदोपरांत नित्य नियम पूजा, दशलक्षण पर्व पूजा ओर तेरह द्वीप विधान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पं अंकित शास्त्री ने कहा कि दशलक्षण पर्व का आठवां दिन उत्तम त्याग धर्म का दिन है। त्याग धर्म का अर्थ बताते हुए कहा कि हमें अपने जीवन में त्याग करना चाहिए। त्याग से ही जीवन अच्छा बनता हैं। जो वस्तु अपने को सबसे ज्यादा प्यारी है उसे छोड़ देना ही त्याग कहलाता हैं हहमें दान देना चाहिए। दान के बारे मे बताया कि हमें सुपात्र को दान देना चाहिए कुपात्र को नहीं।

शाम के समय श्री जी की भव्य आरती की गई। इसके बाद श्री भक्तांबर दीप महाअर्चना का आयोजन किया गया।इस दौरान जैन समाज के प्रधान मनोज जैन, उपप्रधान डॉ राजेश जैन,महामंत्री निपुण जैन, अमित जैन, सुधीर जैन, विद्यासागर जैन,शशांक जैन, अंशुल जैन, अतुल जैन, प्रशांत जैन, ललित जैन, अभिषेक शास्त्री, संजय जैन, अशुंल जैन,राकेश जैन, आकाश जैन, अर्पित जैन, नमन जैन, आर्जव जैन, नवीन जैन, ललित जैन, शुभम जैन, पुष्पेन्द्र जैन, नीरज जैन, वीरेश जैन,अरविन्द जैन,अंकित जैन , वर्षा जैन, प्रीति जैन, सुनीता जैन, रेणु जैन, माधवी जैन, पूजा जैन, संगीता जैन सृष्टि जैन, गरिमा जैन, करुणा जैन, परख जैन, विनीता जैन, पायल जैन, दीपा जैन सहित समाज के महिला पुरुष मौजूद रहे।
रिपोर्ट वैभव गुप्ता।