बिहार में 70 हज़ार करोड़ का गबन : रकटु प्रसाद बिहार के एक तिहाई बजट को नीतीश मोदी ने मिलकर लूटा, कैग की रिपोर्ट पर बोली कांग्रेस

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सीतामढ़ी । बिहार को एक ऐसी खुशखबरी देने आया हूं जिसकी जानकारी बिहार के लोगों को भी नहीं है। बिहार में विकास हो गया और पुल बन गए, 24 घंटे बिजली मिलने लगी, शिक्षा, रोजगार सब मिलने लगा लेकिन ये बिहार के आम लोगों को पता ही नहीं है कि बिहार के सरकार के पास इसका हिसाब ही नहीं है, जिसका खुलासा कैग की रिपोर्ट में आया। 70 हजार करोड़ रुपए का घोटाला बिहार में मोदी और नीतीश कुमार की सरकार ने किया, ये भारत सरकार की कैग ने अपने रिपोर्ट में कही है। बिहार सरकार के विभिन्न विभागों ने 70 हजार करोड़ का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा ही नहीं किया। उक्त बातें जिला कांग्रेस कमिटी मुख्यालय ललित आश्रम गांधी मैदान में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जिला कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रकटू प्रसाद ने कही।

जिला कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रकटू प्रसाद ने कहा कि बिहार का कुल बजट का एक तिहाई बजट लगभग 70 हजार करोड़ मोदी और नीतीश ने मिलकर लापता कर दिया, जिससे बिहार के विकास के लिए कई काम हो सकते थे। उन्होंने कहा कि बिहार में कभी जर्जर पुल, खंडहर में तब्दील हो रहे सरकारी भवन और बदहाल व्यवस्था देखेंगे तो याद कीजियेगा कि 70 हजार करोड़ के घोटाले की देन है।

साथ ही कहा कि 31 मार्च 2024 तक बिहार सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा 49,649 उपयोग प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं कराया गया। इनकी कुल राशि ₹70,877.61 करोड़ है।
आज़ाद भारत के इतिहास में इतना बड़ा डाका आज तक नहीं डाला गया, जितना बिहार में भाजपा-जदयू सरकार ने गरीबों के हक़ पर डाल दिया है वो भी छोटा मोटा नहीं 70 हज़ार करोड़ का।
हाल ही में कैग ने अपनी रिपोर्ट स्टेट फाइनेंस रिपोर्ट नंबर-1 2025 विधान सभा में रखी है और उसमें यह आशंका जाहिर की गई है कि गरीबों के नाम पर विभिन्न योजनाओं में 70,877.61 क़रोड़ रू गबन कर लिया गया है। कैग ने पाया है कि बिहार सरकार के पास इस बात का कोई लेखा जोखा नहीं है कि ये पैसे कहां खर्च किए गए गए है। इन सत्तर हज़ार करोड़ रू से अधिक राशि को खर्च करने के 49,649 उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध ही नहीं है। इन प्रमाण पत्रों को कानूनन राशि खर्च करने के 18 माह में बनाना चाहिए मगर 10 वर्षों से अधिक की अवधि से इन पैसों का कोई हिसाब किताब नहीं है।
इतना ही नहीं, बिहार की भाजपा-जदयू की नाकारा सरकार ने बीते पांच सालों की बजट राशि में से 3,59,667 करोड़ रू की राशि खर्च ही नहीं की। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस राशि में लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा केंद्र प्रायोजित योजनाओं का है, जो सामाजिक कल्याण की योजनाएं हैं।

31 मार्च 2024 तक अनुपलब्ध उपयोगिता प्रमाण पत्रों में विभाग-वार उपयोगिता प्रमाण पत्र जो एजी (ए एवं ई) को 2023-24 तक प्राप्त नहीं हुए उनको बताते हुए उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग में
804.69 करोड़ रुपए, स्वास्थ्य 860.33 करोड़ रुपए, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण विभाग में 911.08 करोड़ रुपए, सामाजिक कल्याण विभाग में 941.92 करोड़ रुपए, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग में 1,397.43 करोड़ रुपए, कृषि विभाग में 2,107.63 करोड़ रुपए, ग्रामीण विकास विभाग में 7,800.48 करोड़ रुपए, शहरी विकास विभाग में 11,065.50 करोड़ रुपए, शिक्षा विभाग में 12,623.67 करोड़ रुपए और सबसे ज्यादा पंचायती राज विभाग 28,154.10 करोड़ रुपए का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा ही नहीं किया गया है।

बिहार की भाजपा-जदयू सरकार के आकंठ भ्रष्टाचार में डूबने के प्रमाण सामने आए हैं। सरकार ने बच्चों की शिक्षा, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग का कल्याण, किसानों और शहरी विकास के विभागों को भी नहीं छोड़ा। कैग ने अपनी रिपोर्ट में राशि के गबन होने तक की आशंका जताई है।
भाजपा-जदयू सरकार ने बिहार के दलित-शोषित, पिछड़े, अति पिछड़े, बच्चे, महिलाओं, अल्पसंख्यकों के विकास की योजनाओं को इतना बड़ा आघात पहुँचाया है, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। बीते पाँच सालों में बिहार की भाजपा जदयू सरकार ने 3,59,667 करोड़ रुपए की बजट की प्रावधान राशि को खर्च ही नहीं किया। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं का था, जिसके तहत सीधे समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्तियों का विकास सुनिश्चित किया जाना था।

संवाददाता सम्मेलन में मुख्य प्रवक्ता प्रमोद कुमार नील, प्रदेश प्रतिनिधि अधिवक्ता संजय कुमार बिररख, मो. शम्स शाहनवाज, रितेश रमण सिंह, ताराकान्त झा, यूथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष रोहन कुमार गुप्ता, अर्चना कुमारी वीरेंद्र कुशवाहा, सुप्रिया कुमारी, जैनेन्द्र कुमार, संपूर्णानंद झा विनय कुमार आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।