
मोतिहारी/ राजन द्विवेदी।
बिहार सरकार आपदा प्रबंधन विभाग पटना के नाम जिले के मेहसी निवासी अमर ने खुला पत्र व एक जरूरी निवेदन भेजा है। जिसमें आपदा प्रबंधन विभाग बिहार सरकार द्वारा स्थानीय और प्राकृतिक आपदा के लिए पीड़ित परिवारों के लिए सहाय मध्य से उपरोक्त विभिन्न प्राकृतिक और स्थानीय आपदा के लिए निर्धारित मानक राशि के संबंध में निवेदन पूर्वक आग्रह किया है कि आज के दौर में बिहार सरकार आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जो मानक राशि सहायता के लिए तय की गई है। उसपर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। क्योंकि घोषित सहायता राशि किसी भी प्रकार से पीड़ितों की पीड़ा को कमतर करने वाली सहायता पहुंचाने वाली नहीं लगती। जहां महंगाई दर के हिसाब से जनप्रतिनिधियों सरकारी कर्मचारी अधिकारी गण के लिए हर वर्ष सरकारी सेवा में लगे अधिकारी और कर्मचारी बाबू को यहां तक की लोक सेवकों को महंगाई दर के हिसाब से उसमें निरंतर वृद्धि की जाती है। वही 2022-23 से लेकर 2025 26 तक के लिए स्थानीय और प्राकृतिक आपदा सेपीड़ित परिवारों और उनके आश्रितों के लिए जो सहायता राशि निर्धारित की गई है, वह किसी भी दृष्टिकोण से सम्मानजनक और मानवीय नहीं है। कहा है कि आज जिनकी झोपड़ी जल जाती है, आशियाना जल जाता है, जीने के संसाधन जल जाते हैं। जीवन भर की कमाई जल जाती है, उसके लिए 6000 और 12000 की राशि पीड़ितों को कितनी सहायता पहचाने वाली है। इसे समझा जा सकता है कि एक झोपड़ी 10 गुना 10 का बनाने में कम से कम 50000 से ऊपर खर्च आता है। पक्का मकान के लिए स्वयं सरकार द्वारा निर्माण के लिए 200,000 रुपए की सहायता राशि दी जाती है। लेकिन यहां 12000 मुआवजा राशि निर्धारित की गई है।
अतः सरकार के नीति निर्माता सलाहकार और बिहार सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से सादर निवेदन है कि यदि सरकार के खजाने पर पहले हक आपदा पीड़ितों का है। वैसे में उन्हें सम्मानजनक सहायता राशि दिए जाने की आवश्यकता है।
हम आशा हूं और उम्मीद करते हैं कि बिहार की प्रगतिशील सरकार और सभी सम्मानित अधिकारी गण उपरोक्त बिंदुओं पर संवेदनशीलता के साथ विचार कर बिहार के आपदा पीड़ितों परिवारों के सम्मान की रक्षा करते हुए निर्णय लेने की कृपा करेंगे।