
–चंचल बाबा आश्रम मे नवरात्रि पर कलश स्थापन के साथ भक्ति भाव से दुर्गा मां की पूजा जारी
मोतिहारी/ राजन द्विवेदी।
नगर के पश्चिमी भाग में 1980 में साधक चंचल बाबा ने एक छोटी सी झोपड़ी में आश्रम बनाकर धर्म आध्यात्म और समाज सेवा के माध्यम से जिले के लोगों का भाग्य को बनाना आरंभ किया। आश्रम में देश के बडे बडे नेता पहुंच कर आशीर्वाद लेकर चुके है। कई शंकराचार्य यहा कई कई दिनो तक रह चुके है। आयुर्वेद के मंत्र शोधन विधि से भस्म बनाकर अमीर गरीब सभी को रोग मुक्त करते हैं। जिस जगह पर कूड़ा मृत पशु फेके जाते थे उस जगह की साफ सफाई उन्होंने अपने हाथों से की और आश्रम बनाकर लोगो का कल्याण किया। आज के समय उनकी ख्याति बिहार , नेपाल दिल्ली, गाजियाबाद तथा विदेश तक फैल चुकी है। वर्तमान समय देशभर में हजारों लोग उनके शिष्य हैं और उनके प्रति आस्था है। योग आधारित संचालित आश्रम परिसर में शिव की शक्ति दुर्गा मां की धातु की मूर्ति स्थाई रूप से लगी है। आश्रम परिसर में शक्ति शरण महाराज उर्फ चंचल बाबा के गुरु की मूर्ति के अलावा अन्य देवी देवताओं की मूर्ति स्थापित है। काली जी की मूर्ति एवं बड़े आकार का शिवलिंग आश्रम और मंदिर का मुख्य आकर्षण है।

नवरात्र के अवसर पर दूर दराज से पधारे शिष्यों को दुर्गा पूजा एवं यज्ञ में हवन आहुति पर विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में सनातन धर्म का जो महात्म है। उससे सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को लाभ मिलता है। भारत के सनातन धर्म के कारण पूरे विश्व भर में भारत के साधु संत महात्माओं के प्रति आदर और सम्मान है। भारत की भूमि को देवभूमि कहा जाता है। विदेशियों मे सनातन धर्म के प्रति काफी सम्मान है। चंचल बाबा ने कहा कि शारदीय नवरात्र में भगवती दुर्गा नव रूप में विराजमान होती है। प्रकृति को सृष्टि पालन और संघार करने का मूल मात्री शक्ति कहा गया है। हमारे ऋषि मुनियों ने इस पर बड़ा खोज किया है। 9 दिन के नवरात्रि में महामारी, विपत्ति , अशांति, उग्रवाद ,दुर्गुण एवं कमजोरियो को नाश करने की शक्ति मिलती है। नवरात्रि का व्रत करने से मनुष्य आत्मबली होता है। नवरात्रि दुर्गा का स्वरूप है जिसमें वल शक्ति की देवी काली, धन वैभव की लक्ष्मी एवं विद्या की देवी सरस्वती की पूजा होती है। महाकाली ,महालक्ष्मी एवं सरस्वती स्वरूप दिव्य शक्तियों के अधीन है मंत्रों के द्वारा तांत्रिक जो हवन करते हैं उसमें जो भी पदार्थ मिले होते हैं जिसमें गूगल, जटामांसी, लोहवान ,बचकूट,तिल ,चावल ,संक्रादि, आम की लकड़ी के द्वारा जो आहुति डाली जाती है। उससे निकलने वाले धुआ का प्रभाव 100 किलोमीटर तक होता है जो सभी धर्म ,जाति और वर्ग के लोगो को लाभ पहुंचाता है। खाशकर स्वास और एलर्जिक रोगियो को काफी लाभ मिलती है। शक्ति शरण महाराज ने कहा कि फिलहाल तो मौसम का हिसाब बदल चुका है कम वर्षा हो रही है। लेकिन पहले अति वृष्टि होती थी। जिससे काफी पशु पक्षी मर जाते थे। बाढ़ और जल जमाव के कारण मछलियां सड़ती थी। जिससे दुर्गंध फैलता था और महामारी फैलती थी। बरसात के बाद शारदीय नवरात्र में बृहद पैमाने पर हवन किया जाता है। जिसके पीछे का वैज्ञानिक तथ्य है कि उस हवन से पूरा वायुमंडल शुद्ध होता है। साथ ही दुर्गंध एवं गंदगी वाले वातावरण से लोगों को मुक्ति मिलती है। नियमित हवन से आसपास महामारी नहीं फैलती है। इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य है। उन्होने कहा कि प्रकृति दुर्गा के रूप में पूरे विश्व में शांति प्रदान करती है। इस त्यौहार का आह्वान करके धन, पुत्र, स्वास्थ्य ,आरोग्यता और क्रोध का नाश होता है । नवरात्र व्रत में शामिल होने वाले को क्रोध, अशांति, दरिद्रता ,टेंशन, डिप्रेशन आदि से मुक्ति मिलती है। उक्त मौके पर प्रमुख शिष्य श्री द्विवेदी भी उपस्थित थे। चंचल बाबा ने उन्हें शाल ओढाकर सम्मानित किया ।