ग्राम अईरा में एक मामला बड़ी ही चौंकाने वाला आया है प्रकाश में।

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आम गैर मजरुआ जमीन को अंचल कार्यालय द्वारा दे दी गई एन ओ सी।

आहर पोखर की जमीन में स॑चालीत है राइस मिल।

रतनी-बड़ी ही चौंकाने वाला मामला का खुलासा हुआ है। जहां बीते कई वर्षों से आहर पोखर की जमीन में राइस मिल स॑चालीत है।
यह इस बात की खुलासा हेतु कई बार जिला पदाधिकारी के पास आवेदन देकर जांच कराने एवं दोषी के विरुद्ध कार्रवाई करने की कोशिश किया गया।पर॑तु प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मामला को गम्भीरता से न लेते हुए, मामला को दबा देने की बात कही गई है।
जानकारी के लिए यहां बताते चलूं कि यह मामला रतनी फरीदपुर प्रखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत प॑डौल
के अ॑तर्गत ग्राम अईरा की है, जो थाना न-206 मौजा अईरा,खाता न-131 ,पलौट न-709 ,किस्म पोखर आम गैर मजरुआ जो सिंचाई से संबंधित है, जिसे अतिक्रमण करते हुए, अंचल अधिकारी से मिलीभगत कर भूमि अनापती प्रमाण पत्र प्राप्त कर, शिवशक्ति राइस मिल निर्माण कर स॑चालीत किया जा रहा है।
नाम न छापने के सवाल पर बताया गया है कि वही नही एफ आई सी का करोड़ों रुपए का चावल को घोटाला भी किया जा चुका है। वही उन्होंने बताया कि जब करोड़ों रुपए की जांच चल रही थी तो शिवशक्ति राइस मिल स॑चालक द्वारा , सरकार को आंख में धुल झोंकते हुए चावल को सड़ जाने की बात कहकर मामला को रफा दफा करने की बात सामने आई थी। लेकिन चौंकाने वाली बात प्रकाश में आया है कि पुनः राइस मिल स॑चालक ने शिवशक्ति राइस मिल का नाम बदलकर अन्नपूर्णा राइस मिल का नामकरण कर स॑चालीत कर दिया गया।
यही नहीं एक और चौंकाने वाली बात प्रकाश में आया है कि शिवशक्ति राइस मिल का स॑चालक शिवकुमार था।और अन्नपूर्णा राइस मिल का स॑चालक का नाम लव कुश कुमार रखा गया है,जो दोनों नाम एक ही ब्यक्ती है।
यहां यह बात साबित करता है कि शिवशक्ति राइस मिल एवं अनपूर्णा राइस मिल एक ही खाता एवं पलौट में स॑चालीत है।
यही नहीं और मामला प्रकाश में आया है कि शकूराबाद थाना में शिवशक्ति राइस मिल स॑चालक पर प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी।
वही उन्होंने बताया कि सहकारिता विभाग के अधिकारियों के मिली भगत से सरकार को करोड़ों रुपए की चुना लगाई गई है,जो वास्तविक रूप से जांच करने के उपरांत सफेद पोश की पोल खुल सकता है।
यहां आश्चर्यजनक तथ्य सामने आई है कि जब शिवशक्ति राइस मिल एवं अनपूर्णा राइस मिल एक ही खाता एवं पलौट में अवस्थित है तो इससे साफ जाहिर होता है कि प्रशासनिक अधिकारी के मिली भगत से करोड़ों रुपए का गबन का मामला प्रतित होता है।
मामला चाहे जो कुछ भी हो लेकिन इतना तय है कि जांच के उपरांत ही सारी बातों की जानकारी प्राप्त हो सकता है।