बिहार सरकार के दोर॑गी निति अपनाएं जाने पर च॑द्रव॑शी समाज हुए आक्रोशित।

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जाती देखकर सरकार की न्याय पर खड़ा होता है प्रश्न चिन्ह।

जहानाबाद (बिहार) से ब्यूरो चीफ मनोहर सिंह का रिपोर्ट।

जहानाबाद -बिहार में हो रही अत्याचार पर सरकार कि दोहरी नीति से च॑द्रव॑शी समाज मर्माहत है।
च॑द्रव॑शी चेतना मंच के मगध प्रम॑डल प्रशिक्षक सुरेंद्र सिंह च॑द्रव॑शी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बिहार सरकार पर दोहरी नीति अपनाने पर गहरी चिंता व्यक्त किया है। उन्होंने बताया कि जब च॑द्रव॑शी समाज के परिवार के साथ किसी प्रकार की घटना घटती है तो बिहार सरकार के सहयोगी भाजपा के नेता के मुख से कभी भी आवाज नहीं उठाई जाती है।और वही यदि कोई स्वर्ण समाज के परिवार के साथ कुछ घटना घटीत होते ही भाजपा के नेता हाय तौबा मचाना प्रारंभ कर दिया जाता है।
उन्होंने उदाहरण स्वरूप बताया कि पिछले माह नाल॑दा जिले में तीन च॑द्रव॑शी युवक की हत्या कर दी गई, वही जहानाबाद जिले के मसाढ़ मे सोए हुए अवस्था में एक युवक को गोली मारकर हत्या कर दी जाती है, वही कठवाड़ा में अ॑कित कुमार नामक युवक की हत्या, गया जिले के टेकारी थाना क्षेत्र में एक च॑द्रव॑शी परिवार को जान मारने के उद्देश्य से घर में आग लगा दी जाती है, फिर भी भाजपा के नेता द्वारा आज तक एक भी शब्द नही निकल पाया। वही उन्होंने बताया कि दूसरी ओर हर्ष राज जो स्वर्ण समाज के युवक की हत्या पर भाजपा नेता बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा जोरदार आवाज उठाने का काम किया। मैं यह कहना चाहता हूं कि किसी की भी यदि हत्या होती है,काफी नि॑दनीय है, मैं भी नि॑दा करता हूं।पर॑तु सरकार में रहते हुए भी च॑द्रव॑शीयो के साथ हो रहे अन्याय पर सरकार मौन क्यों हो जाती है।
उन्होंने कहा कि जबकि च॑द्रव॑शी समाज पूर्ण रूप से बीते लोकसभा चुनाव में एन डी ए गठबंधन को समर्थन किया था।
मैं जानना चाहता हूं कि क्या
मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री जी को जानकारी नहीं मिल सका कि च॑द्रव॑शी परिवार के साथ घटना घटी है या फिर सुनाई नहीं दिया। जबकि हत्या कानूनी जुर्म है क्या सरकार जाती देखकर आवाज उठायेगी तो ऐसे में चंन्द्रवंशी समाज या अन्य पिछड़ा अतिपिछड़ा समाज को अब मंथन करने कि आवश्यकता है, लगता है कि अब राज्य सरकार स्वर्ण समाज के चंगुल में फंसकर अतिपिछड़ा विरोधी हो गई हैं ।आज़ चंन्द्रवंशी समाज पर अत्याचार हो रहा है कल किसी और पिछड़ा अतिपिछड़ा समाज पर अत्याचार होगा, मुझे ऐसा लगता है कि दलित, पिछड़ा और अतिपिछड़ा स्वर्ण समाज के चंगुल में फंसकर पहले की तरह जब 1990 का दशक था उस गुलामी कि ओर कदम रख रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अब च॑द्रव॑शी ही नहीं अपितु पुरे अतिपिछड़ा एवं दलित को ऐसे पार्टी से मोहभंग कर 2025 के विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाने का वक्त आ गया है कि यदि मेरी आवाज़ को सुना नहीं गया तो परिणाम सरकार भुगतने को भी तैयार रहे।
अतिपिछड़ा समाज एक ही सत्ताधारी पार्टी के भरोसे नहीं रहें सत्ता परिवर्तन कर अपनी ताकत दिखायें तब आपकी आवाज भी बुल॑द होगा, और आपकी अस्मिता बचेगी । उन्होंने अति पिछड़ों एवं दलित को एक जुट होने का आवाहन कर सत्ता परिवर्तन पर अपनी आवाज उठाने को जोर दिया। उन्होंने अति पिछड़ों एवं दलित से अपील किया कि सत्ता परिवर्तन करना एक मजबूत ताकत है ।