जहानाबाद में रामनवमी के शुभ अवसर आर्य समाज मंदिर में पंच कुण्डीय वैदिक महायज्ञ एवं राम कथा का आयोजन।

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जहानाबाद (बिहार) से ब्यूरो चीफ मनोहर सिंह का रिपोर्ट।

जहानाबाद -जिले के आर्य समाज मंदिर में रामनवमी के शुभ अवसर पर पंच कुण्डीय वैदिक महायज्ञ एवं राम कथा का आयोजन किया गया ।
यज्ञ के ब्राह्म आचार्य प्रकाश चंद्र आर्य जी के आचार्यत्व में कार्यक्रम का प्रारंभ प्रातः यज्ञ के साथ किया गया । जिसमें पांच सपत्नीक यजमान बनें । तत्पश्चात राम कथा मे मर्यादा पुरुषोत्तम आर्य श्री रामचंद्र जी महाराज के जीवन के आदर्शों के विषय में आचार्य प्रकाश चंद्र आर्य जी ने अपने व्याख्या में बताया कि यदि किसी मनुष्य को धर्म का साक्षात् स्वरुप देखना हो तो उसे वाल्मीकि रामायण का अध्ययन करना चाहिये। श्री राम का चरित्र वस्तुतः आदर्श धर्मात्मा का जीवन चरित्र है। महर्षि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना करके वस्तुतः श्री रामचन्द्र जी के काल में प्रचलित धर्म व संस्कृति को ही प्रचारित व प्रसारित किया है। भारत का बच्चा-बच्चा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी के जीवन चरित्र से परिचित हो और अपने जीवन और व्यवहार में उनको अपना आदर्श मानकर उनका अनुकरण करे। श्री राम के गुणों का वर्णन कैकेयी ने स्वयं किया है। जब श्री राम को राजतिलक देने का निर्णय हुआ तब सभी को अत्यन्त प्रसन्नता हुई। कैकेयी को यह समाचार उसकी दासी ने जाकर दिया। तब कैकेयी आनन्द विभोर हो गई और अपना एक बहुमुल्य हार कुब्जा को देकर कहने लगी-‘‘हे मथरे ! तूने यह अत्यन्त आनन्ददायक समाचार सुनाया है। इसके बदले में मैं तुम्हें और क्या दूं।” परन्तु मन्थरा ने द्वेष से भरकर कहा कि राम के राजा बनने से तेरा, भरत का और मेरा हित न होगा। तब कैकेयी राम के गुणों का वर्णन करती हुई कहती है-‘‘राम धर्मज्ञ, गुणवान्, जितेन्द्रिय, सत्यवादी और पवित्र हैं तथा बड़े पुत्र होने के कारण वे ही राज्य के अधिकारी हैं। राम अपने भाईयों और सेवकों का अपनी सन्तान की तरह पालन करते हैं।” महर्षि वशिष्ठ कहते हैं की राज्याभिषेक के लिए बुलाए गए और वन के लिए विदा किए गए श्री राम के मुख के आकार में मैंने कोई भी अन्तर नहीं देखा। राज्याभिषेक के अवसर पर उनके मुख मण्डल पर कोई प्रसन्नता नहीं थी और वनवास के दुःखों से उनके चेहरे पर शोक की रेखाएं नहीं थी। रामराज्य का वर्णन करते हुए वाल्मीकि रामायण में बताया गया है‌ निर्दस्युरभवल्लोको नानर्थं कश्चिदस्पृशत्। न च स्म वृद्धा बालानां प्रेतकार्याणि कुर्वते।। अर्थात राज्य भर में चोरों, डाकुओं और लुटेरों का कहीं नाम तक न था। दूसरे के धन को कोई छूता तक न था। वही रामायण में हमें सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा मिलती है की परायी स्त्री पर गलत नियति रखने वाले रावण के पूरे खानदान का सर्वनाश हो गया ।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी के जीवन के आदर्शों को अपना कर हम अपने घर से शुरू करते हुए पूरे देश में राम राज्य स्थापित कर सकते हैं अपने बच्चों को राम जी के आदर्श पर चलने की शिक्षा दें। इसी संकल्प के साथ इस रामनवमी को सब लोग मनाए कि हम राम जी के आदर्शों को अपने जीवन में धारण करेंगे ।
कार्यक्रम का समापन शांति पाठ एवं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी के जय घोष एवं जय श्री राम के नारे के साथ हुआ । कार्यक्रम के मुख्य आयोजक आर्य समाज जहानाबाद के प्रधान श्री अजय आर्य एवं आचार्य प्रकाश चंद्र आर्य जी, रहे एवं विशेष सहयोग सुजीत आर्य, संजय आर्य, अनिल आर्य, नित्यानंद गुप्ता, सरिता देवी, महेंद्र आर्य, राकेश जी, रंजीत जी, आशुतोष जी, अमृता आर्या, मोनी आर्यनी, चांदनी आर्यनी का प्राप्त हुआ । इस कार्यक्रम में प्रमुख यजमान डॉ संतोष कुमार, संजय कुमार, पप्पू आर्य, सूर्य प्रकाश आर्य, बलराम आर्य, भरत जी, पूनम जी, सुनीता जी, शिशुपाल आर्य, सूर्यांशु आर्य, शंकर जी इत्यादि सैकड़ो भक्तों ने अपनी पुण्य आहुति प्रदान की।