शिक्षा विभाग द्वारा कब गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का होगा परिवर्तन ।

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एक क्लास रूम में तीन वर्गों की होती है पढ़ाई,

क्या बच्चों के भविष्य के साथ किया जा रहा खेलवाड़

जहानाबाद -रतनी से धीरेन्द्र कुमार की रिपोर्ट।

रतनी -बिहार सरकार हों या के॑द्र सरकार शिक्षा विभाग में सुधार के लिए बड़े-बड़े दावे करते हैं।


बिहार सरकार ने शिक्षा विभाग को अमली जामा पहनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। सरकार शिक्षा विभाग पर सबसे ज्यादा खर्च भी कर रही है,जैसा कि सरकार द्वारा निर्गत वजट पर दर्शाया जाता है। लेकिन हकीकत क्या है, जमीन पर शिक्षा विभाग की क्या स्थिति है, गुणवत्ता पूर्ण बच्चों को शिक्षा प्राप्त हो रही है या नहीं, छात्रों की नामांकन के अनुसार विद्यालय में शिक्षक पदस्थापित हैं या नहीं, विद्यालय की चारदीवारी है या नहीं, बच्चों को पानी,शौच की ब्यवस्था उपयुक्त है या नहीं?इन सारी प्रश्नों की उत्तर आखिर कहां प्राप्त होगा।इन सारी बि॑दुओ पर जांच की आवश्यकता है। लेकिन देखने को मिलता है कि जांच की प्रक्रिया केवल खानापूर्ति मात्र ही है।
अब मैं आप सभी को हकीकत बताने का प्रयास कर रहा हूं,जो जिले का रतनी फरीदपुर प्रखंड क्षेत्र का मध्य विद्यालय मुरहारा है, जहां नामांकित छात्रों की संख्या 270 है, शिक्षक मात्र 05 है, जिसमें एक प्रधानाध्यापक है,जो कही न कही फाइल ढोने में ही रह जाते हैं, एक कभी कभी छुट्टी में,बच गए तीन शिक्षक , वैसे में बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा कैसे प्राप्त हों सकता है।
स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने बताया कि हम लोगों को शिक्षण कार्य में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। क्लास रूम में शिक्षक के नही रहने पर बैठ कर ही दिन बित जाता है।चुकी 6 रुम में बच्चे बैठते हैं।
नाम न छापने के सवाल पर एक शिक्षक ने बताया कि वर्ग 1 एवं 2 को एक रुम में,वर्ग 3-4-एव॑ 5 एक रुम में तथा वर्ग 6 एवं वर्ग 7 तथा वर्ग 8 अलग-अलग क्लास रूम में बैठते हैं, तथा शिक्षक मात्र यदि 4 है ,चार रुम में, नहीं तो तीन शिक्षक है तो मात्र तीन ही क्लास रूम में शिक्षण कार्य सम्भव है। वैसे में और बच्चों के भविष्य के साथ तो खिलवाड़ ही किया जा रहा है।


उन्होंने बताया कि कई बार शिक्षक की मांग किया गया है,पर॑तु अब तक शिक्षक की पदस्थापना नही हो सका।
वही ग्रामीणों ने बताया कि गरीब परिवारों के बच्चों के साथ सरकार खिलवाड़ कर रही है। सरकार द्वारा बड़े बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत क्या है हमलोग ही जानते हैं, हमलोग के बच्चों का भविष्य अंधकारमय है। वही ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय की चारदीवारी नहीं रहने से बच्चों के साथ कभी भी दुर्घटना घट सकती है, क्योंकि सड़क के किनारे स्कूल है, सड़क पर हमेशा गाड़ी चलती है, जिससे हमेशा डर बना हुआ रहता है।
ग्रामीणों ने जिला पदाधिकारी से आग्रह किया है कि मध्य विद्यालय मुरहारा में और कम से कम दो शिक्षक तथा चारदीवारी की स्वीकृति प्रदान करें।