सहारनपुर/उप्र/कर्ज़ में डूबे ज्वेलर्स ने हरिद्वार में की आत्महत्या,पत्नी भी लापता,

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कर्ज़ के दलदल में फंसा होने के कारण पत्नी सहित जान देने का मैसेज सोशल मीडिया पर भेजा।


ब्यूरो रिपोर्ट सहारनपुर।

सहारनपुर। नगर कोतवाली क्षेत्र के किशनपुरा निवासी ज्वेलर्स ने हरिद्वार की गंगनहर में कूद कर आत्महत्या कर ली। मृतक का शव बरामद हो गया है। मरने से पहले सर्राफा ने सुसाइड नोट में लिखा है की कर्ज की दलदल में फंसा होने के कारण वह अपनी पत्नी सहित आत्महत्या कर रहा है।मृतक की पत्नी अभी तक लापता हैं। घटना की जानकारी मिलते ही मृतक के परिवार में कोहराम मच गया।
घटनाक्रम के तहत नगर कोतवाली के किशनपुरा में सौरव बब्बर पुत्र दर्शन लाल की सांई ज्वेलर्स के नाम से शॉप है।दुकान के ऊपर ही उनका आवास है जहां वह पत्नी मोना बब्बर और दो बच्चों के साथ रह रहे थे। जबकि उनके पिता दर्शन लाल अपने परिवार के साथ गोविंद नगर में रहते हैं।
शनिवार को सौरव बब्बर अपनी पत्नी मोना को साथ लेकर बाइक से हरिद्वार गए थे। सोमवार को उनका शव हरिद्वार के निकट रानीपुर कोतवाली क्षेत्र में गंगनहर से बरामद हुआ। जबकि उनकी पत्नी का कुछ पता नहीं चल सका है। दोनों नई बाइक से हरिद्वार जाने को सहारनपुर से एक साथ निकले थे। पुलिस को सौरव बब्बर का लिखा एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। वहीं, खुदकुशी करने से पूर्व सौरव ने व्हाट्सएप पर अपने रिश्तेदारों को कर्ज में डूबे होने के चलते पत्नी सहित आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाए जाने की जानकारी यह कहते हुए भेजी थी कि सुसाइड किए जाने वाली जगह की वह बाद में जानकारी दे देंगे।इस बात की जानकारी मिलते ही मृतक के परिजनों में कोहराम मच गया।इलाके के लोगों ने बताया कि हरिद्वार जाने से पहले सौरव बब्बर ने अपने दोनों बच्चों को उनके नाना नानी के हवाले किया था और सुसाइड नोट में भी दोनों बच्चों की जिम्मेदारी नाना नानी को सौंपी है।

सुसाइड नोट में लिखा कि कर्ज़ के दलदल में फंस गया हूं


सौरव बब्बर ने सुसाइड नोट में लिखा है कि में कर्ज़ के दलदल में फंस गया हूं।इस से बाहर निकलने को कोई रास्ता नहीं बचा।में और मेरी पत्नी मोना बब्बर अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं। हमारी किशनपुरा वाली प्रॉपर्टी मकान, दुकान हमारे दोनों बच्चों के लिए है। हमारे दोनों बच्चे अपनी नानी के घर रहेंगे। इनका जीवन अब हम उनके हवाले करके जा रहे हैं। बच्चे हमारे वही रहेंगे। हमें किसी ओर पर भरोसा नहीं है। हमारे लेनदारों को हमने अंधाधुध ब्याज दी हैं। हम अब और नहीं दे पा रहे।