जहानाबाद में बिहार स॑विदा ए एन एम कर्मियों ने एफ आर ए एस से उपस्थिति बनाने सम्ब॑धी प्रति को किया आग के हवाले।

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मा॑ग पुरी होने तक कार्य बहिष्कार करने की दी जानकारी।

जहानाबाद (बिहार) से ब्यूरो चीफ मनोहर सिंह का रिपोर्ट।

जहानाबाद -जिले में बिहार स॑विदा ए एन एम कर्मियों ने राज्य कमेटी के निर्णय के आलोक में 25 जुलाई 2024 को बी एस एन एल टावर काको रोड से शहर के मुख्य मार्ग से पैदल मार्च के साथ अपनी मांगों के पक्ष में मोदी- नीतीश सरकार के कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ नारा लगाते हुए सैकड़ौ की संख्या में संविदा पर नियुक्त सभी कर्मियों, यथा- स्टाफ नर्स, ग्रेड ए नर्स, ए एन एम, जी एन एम, सी एच ओ ने हॉस्पिटल मोड़ पर एफ आर ए एस से उपस्थिति बनाने संबंधी आदेश की प्रति जलाया| जलाने के बाद पैदल मार्च सभा में तब्दील हो गई| सभा को संबोधित करते हुए बिहार संविदा एएनएम- एनएचएम कर्मी संघ के जिला सचिव सुनील कुमार ने एफ आर ए एस आदेश से उपस्थिति बनाने संबंधी आदेश वापस लेने, संविदा पर नियुक्त सभी कर्मियों की सेवा नियमित करने , समान काम का समान वेतन देने ,सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों का कैडर नियावली गठित करने ,4 माह से बकाया मानदेय का भुगतान, ऐच्छिक स्थानांतरण का प्रबंध करना, खाली पदों पर स्थाई नियुक्ति, स्वास्थ्य केदो पर जन सुविधा का प्रबंध करने की मांग की |साथ ही कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक कार्य बहिष्कार आंदोलन जारी रहेगा| सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य कामरेड श्रीनिवास शर्मा ने कहा कि आपकी बदौलत राज्य की गरीब जनता को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाती है परंतु राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों की स्थिति खराब है, जिसे ठीक करना राज्य सरकार का दायित्व है।समय पर मानदेय का भुगतान नहीं करना, कम मानदेय देकर श्रम का शोषण करना, समान काम का समान वेतन नहीं देना, स्वास्थ्य केद्रों पर जरूरी जन सुविधा का प्रबंध नहीं करना, किसी भी लोकतांत्रिक राज्य के लिए ठीक नहीं है| उन्होंने सिर्फ ए एन एम ,एन एच एम कर्मियों के लिए कार्य अवधि में एफ आर ए एस विधि से तीन बार हाजिरी दर्ज करने की स्वास्थ्य विभाग के आदेश की कड़ी निंदा करते हुए इसे कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर बनाने वाला काला कानून बताते हुए सरकार से इसे अविलंब रद्द करने की मांग की।


सभा को संबोधित करते हुए अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ,गोपगुट के जिला सचिव संजय कुमार ने मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक तरफ महिला सशक्तिकरण का ढिंढोरा पीटते हैं ,लेकिन दूसरी तरफ राज्य की सरकार राज्य की लाखों स्वास्थ्य कर्मियों आशा, ममता, विद्यालय रसोइया ,आंगनबाड़ी सेविका सहायिका का आर्थिक शोषण- उत्पीड़न कर रही है।परिणाम स्वरुप इन कर्मियों को आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ता है। आगे उन्होंने कहा कि पूंजीवादी सत्ता से हक-अधिकार लेने के लिए एकताबद्ध होकर सुव्यवस्थित संगठन बनाकर लड़ना ही एकमात्र रास्ता है, जिस पर आपको अमल करना होगा। साथ ही आपको अपना संघर्ष जारी रखना होगा । उन्होंने बिहार के कर्मचारी, शिक्षक, मजदूर आंदोलन का इतिहास बताते हुए कहा कि हम लड़े हैं, जीते हैं और लड़ेंगे, जीतेंगे।
इसके अलावा सभा को टिंकू गुप्ता, राजेश कुमार, सलोनी कुमारी, रश्मि वर्मा ,अमरेश कुमार, पंकज कुमार मंजू कुमारी नीरज कुमारी, शीतल कुमारी, पुष्पा कुमारी, ललिता लाली विक्रम, निक्की कुमार, नागेंद्र कुमार ,आकृति पटेल ,राजेंद्र कुमार, नीरज कुमार, नंदलाल कुमार, गायत्री कुमारी ,नंदिता कुमारी, रीना कुमारी, राम उदय कुमार ने संबोधित किया ।