जहानाबाद किशोर न्याय परिषद ने सभी थाना अध्यक्षों को पोक्सो अधिनियम 2012 एवं किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत कार्य करने का दिया निर्देश।

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जहानाबाद (बिहार) से ब्यूरो चीफ मनोहर सिंह का रिपोर्ट।

जहानाबाद— लगातार पुलिस के द्वारा जे.जे0एक्ट 2015 का उल्लंघन एवं बिना किसी वजह का पोक्सो एक्ट की धारा में प्राथमिकी विधि विरूद्ध बालक के उपर करने पर किशोर न्याय परिषद्, जहानाबाद/अरवल ने संज्ञान लेते हुए दिशा निर्देश जारी करते हुए सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई, जहानाबाद एवं अरवल को दिया निर्देश कि अविलंब सभी थाने के थानाध्यक्ष एवं बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी जहानाबाद एवं अरवल को जे0जे0एक्ट 2015 एवं पोक्सो अधिनियम 2012 का उचित प्रशिक्षण करायें एवं इसका प्रतिवेदन किशोर न्याय परिषद के समक्ष प्रस्तुत करें।
बताया जाता है कि उक्त मामले में विधि विवादित बालक के उपर महेंदिया थाना में सेक्शन-8 एवं 12 पोक्सो अधिनियम एवं 366 (ए) भा०दं०सं० के अंतर्गत प्राथमिकी पंजीकृत किया गया जिसमें सूचक ने बालक का उम्र 17 वर्ष बताया था इसके बावजूद भी पुलिस द्वारा बिना किसी दस्तावेज मांगे हीं उसका चिकित्सीय जांच करायें एवं उसे जेल भेज दिया गया। उसके घर वालो को भी उसको जेल भेजने की सूचना भी नहीं दी गई। कई बार बोर्ड के द्वारा विशाल कुमार बनाम राज्य बिहार 2021 माननीय पटना उच्च न्यायालय का यह निर्णय पत्र परिषद द्वारा आयोजित मासिक समन्वय समिति के बैठक में नोडल पदाधिकारी, विशेष किशोर पुलिस इकाई, जहानाबाद एवं अरवल को कई माह पूर्व में हीं प्राप्त करा दिया गया है इसके बावजूद भी पुलिस के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, पटना के आदेश को नहीं माना जा रहा है एवं ना हीं इसका पालन किया जा रहा है।एवं माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है ! बोर्ड ने आगे कहा की जैसे ही बच्चे को पुलिस द्वारा पकड़ा जाता है, उसे विशेष किशोर पुलिस इकाई या सीडब्ल्यूपीओ के प्रभार में रखा जाएगा, जो बच्चे को पकड़ने के 24 घंटे की अवधि के भीतर बिना समय गंवाए बोर्ड के सामने पेश करेंगे, सीडब्ल्यूपीओ मेहंदिया ने बच्चे को जेजे बोर्ड के समक्ष पेश नहीं किया था, पुलिस ने बच्चे को वयस्क बनाकर पोक्सो कोर्ट जहानाबाद में पेश किया था ! इसी को लेकर किशोर न्याय परिषद ने दिशानिर्देश जारी किया है जिसमें बताया कि अरवल एवं जहानाबाद के पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) को सभी संबंधित थानों के एसएचओ द्वारा पोक्सो अधिनियम, 2012 के तहत एफआईआर दर्ज करने पर रोक लगानी चाहिए, वह भी बिना पीड़ित की आयु सत्यापन, पीड़ित की मेडिकल जांच तथा पीड़ित का बयान किए बिना । पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि एफआईआर दर्ज करने या किशोर की गिरफ्तारी के समय उसके उम्र का सत्यापन किया जाए ! किसी भी परिस्थिति में बच्चे को रात के समय पुलिस थाने में नहीं रखा जाना चाहिए तथा दिन के समय उसे थाने में चाइल्ड फ्रेंडली कॉर्नर में रखा जाना चाहिए। दोनों पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया गया है कि प्रत्येक थाने में चाइल्ड फ्रेंडली कॉर्नर अवश्य होना चाहिए । किशोर को केवल बोर्ड के समक्ष ही पेश किया जाना चाहिए, किसी अन्य अदालत में नहीं । किशोर को पकड़े जाने की सूचना विधि सह परिवीक्षा पदाधिकारी को एवं किशोर के माता-पिता/रिश्तेदारों/करीबी दोस्तों को तुरंत सूचित किया जाना चाहिए। बोर्ड ने कहा कि सभी एसएचओ,सीडब्लूपीओ को जे.जे.एक्ट, 2015 और बिहार जे.जे. नियम के प्रशिक्षण की तत्काल आवश्यकता है। इसलिए बोर्ड ने निर्देश दिया है कि सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई,जहानाबाद/अरवल उपरोक्त अधिकारियों के लिए तुरंत जेजे एक्ट एवं जे जे नियम तथा पॉस्को अधिनियम पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराए दोनों सहायक निदेशक जहानाबाद और अरवल के सभी अधिकारियों को अध्ययन सामग्री भी प्रदान करेंगे एवं आदेश को जहानाबाद और अरवल के सभी पुलिस स्टेशनों में प्रसारित करेंगे ताकि आदेश में उल्लिखित सभी निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जा सके !