– जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर गर्भवती महिलाओं का हुआ स्वास्थ्य जांच
मोतिहारी / राजन द्विवेदी।जिले में मातृ-मृत्यु दर में कमी लाने व सुरक्षित प्रसव बढ़ाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग काफ़ी गंभीर है। स्वास्थ्य विभाग की सार्थक पहल के कारण माह में 9 तारीख एवं 21 तारीख को राज्य के सभी जिला अस्पताल, अनुमण्डलीय अस्पताल एवं हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं के एएनसी जांच की जा रहीं है। ताकि गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य जांच कराकर गर्भवस्था के दौरान उच्च जोखिम से बच सकें। जिले के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रवण कुमार पासवान ने कहा की जिले की गर्भवती महिलाएं भी अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग दिख रहीं है, वे जिला एवं नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अपना स्वास्थ्य जांच करा रहीं है।जिसका परिणाम है कि आज मातृ-मृत्यु दर में कमी आ रही है।डीसीएम नंदन झा ने बताया की आशा कार्यकर्ताओं व आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाएं घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल जाकर जांच व इलाज के लिए प्रेरित करती हैं, ताकि प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल सके। इससे प्रसव के दौरान होने वाली परेशानियों मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है। गर्भावस्था की संपूर्ण अवधि के दौरान कम से कम चार बार एएनसी जरूरी है।सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक कौशल कुमार दुबे ने बताया कि आज 45 गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गईं इस दौरान हीमोग्लोबिन प्रतिशत,खून में ग्लूकोज की मात्रा, ऑक्सीजन लेवल, ब्लड प्रेशर, एचआई वी आदि की जांच की गईं ताकि सुरक्षित प्रसव कराया जा सकें। सदर अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉ सुरुचि कुमारी ने बताया की गर्भवती महिलाओं को पहली जांच गर्भधारण के 12 वें सप्ताह तक, दूसरी जांच 14 वें से 26 वें सप्ताह तक, तीसरी 28वें से 32वें सप्ताह तक और अंतिम जांच 34 वें से प्रसव होने से पहले तक करा लेनी चाहिए।गर्भवती महिलाओं को सन्तुलित आहार के साथ आयरन एवं कैल्शियम की गोली का उचित मात्रा में सेवन करना जरूरी है तभी गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को उनके गर्भ में पल रहे बच्चे का उचित शारीरिक व मानसिक विकास होता है।मोतिहारी / राजन द्विवेदी।
जिले में मातृ-मृत्यु दर में कमी लाने व सुरक्षित प्रसव बढ़ाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग काफ़ी गंभीर है। स्वास्थ्य विभाग की सार्थक पहल के कारण माह में 9 तारीख एवं 21 तारीख को राज्य के सभी जिला अस्पताल, अनुमण्डलीय अस्पताल एवं हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं के एएनसी जांच की जा रहीं है। ताकि गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य जांच कराकर गर्भवस्था के दौरान उच्च जोखिम से बच सकें। जिले के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रवण कुमार पासवान ने कहा की जिले की गर्भवती महिलाएं भी अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग दिख रहीं है, वे जिला एवं नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अपना स्वास्थ्य जांच करा रहीं है।जिसका परिणाम है कि आज मातृ-मृत्यु दर में कमी आ रही है।
डीसीएम नंदन झा ने बताया की आशा कार्यकर्ताओं व आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाएं घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल जाकर जांच व इलाज के लिए प्रेरित करती हैं, ताकि प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल सके। इससे प्रसव के दौरान होने वाली परेशानियों मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है। गर्भावस्था की संपूर्ण अवधि के दौरान कम से कम चार बार एएनसी जरूरी है।
सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक कौशल कुमार दुबे ने बताया कि आज 45 गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गईं इस दौरान हीमोग्लोबिन प्रतिशत,खून में ग्लूकोज की मात्रा, ऑक्सीजन लेवल, ब्लड प्रेशर, एचआई वी आदि की जांच की गईं ताकि सुरक्षित प्रसव कराया जा सकें। सदर अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉ सुरुचि कुमारी ने बताया की गर्भवती महिलाओं को पहली जांच गर्भधारण के 12 वें सप्ताह तक, दूसरी जांच 14 वें से 26 वें सप्ताह तक, तीसरी 28वें से 32वें सप्ताह तक और अंतिम जांच 34 वें से प्रसव होने से पहले तक करा लेनी चाहिए।गर्भवती महिलाओं को सन्तुलित आहार के साथ आयरन एवं कैल्शियम की गोली का उचित मात्रा में सेवन करना जरूरी है तभी गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को उनके गर्भ में पल रहे बच्चे का उचित शारीरिक व मानसिक विकास होता है।