सहारनपुर/उप्र/रामपुर मनिहारानहाली उर्दू अकादमी व गजल कबीला के सहयोग से डॉ. उबैदुल्लाह चौधरी गोरखपुरी के सम्मान में एक साहित्यिक सभा और काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।

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जिसमें शायरों ने देर रात तक अपने शेर, गजल व कलाम पेश कर खूब वाहवाही लूटी।



रिपोर्ट वैभव गुप्ता।


बीती रात कस्बे में आयोजित कार्यक्रम में सबसे पहले डॉक्टर उबैदुल्लाह चौधरी की शख्सियत और कला से संबंधित डॉक्टर मोहम्मद मुस्तमिर असिस्टेंट प्रोफेसर जाकिर हुसैन कॉलेज और हाली उर्दू अकादमी के डायरेक्टर ने भरपूर प्रकाश डाला उन्होंने बताया की इनका व्यक्तित्व किसी परिचय का मोहताज नहीं है। अतिथि महोदय खास तौर पर उर्दू कहानी से संबंधित कई पुस्तकें लिख चुके हैं जो संदर्भ के रूप में जानी जाती हैं उन्होंने यह भी कहा कि अगर डॉक्टर उबैदुल्लाह चौधरी को उर्दू साहित्य का इब्ने बतूता भी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
कार्यक्रम का शुभारंभ हाफिज काजिम ने नात पाक से किया। इसके पश्चात शायर
जहूर अहमद ने पढ़ा “बड़ी जालिम है दुनिया
यह कब आंसू किसी के पोंछती है”
समर खाना बदोश ने कुछ यूं कहा
“मिट्टी ही भरेगी तेरी ख्वाहिश का प्याला
इंसां तेरी फितरत है अभी और अभी और”
शायर प्रदीप दीवाना ने
मुहब्बत में गर वो चुरा ले नजर को
शरारत में तौहीन ए जज्बात होगी”
अंकित कुमार गुलशन ने कुछ इस अंदाज में कहा कि “साहिलों को  तोड़ती  लहरों  का  पानी  देखना,
उसकी सूरत में तुम अपनी बद-गुमानी  देखना।”
डाक्टर मौहम्मद मुस्तमिर ने पढ़ा ” बोलता है कि यह चेहरा भी बहुत कुछ सच में
ये जरूरी तो नहीं बात जुबां तक पहुंचे”
कार्यक्रम में डॉक्टर मोहम्मद मुस्तमिर का काव्य संग्रह चिलमन का विमोचन भी किया गया जिस पर उन्हें मुबारकबाद पेश की गई। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर मोहम्मद मुस्तमिर ने किया और अध्यक्षता हाफिज काजिम ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर उबैदुल्लाह चौधरी ने भी अपने विचार प्रकट किये। साहित्यिक सभा में स्थानीय कवियों सहित सलीम कुरैशी, शाहनवाज आलम कुरेशी, मोहम्मद महफूज आदि शामिल रहे।