– बिना जांच व बिना सूचना के एमओ ने कर दी करवाई
संग्रामपुर / उमेश कुमार।
जहां एक तरफ सरकार गरीबो के लिए मुफ्त में अनाज उपलब्ध करवाने में एड़ी चोटी लगा कर राशन पहुचाने में जुटी हैं वहीं स्थानीय स्तर पर विभागीय पदाधिकारी बिना धरातल पर जांच किए वैसे वैसे लोगो राशन कार्ड कर रद्द कर रहे हैं जिन्हें सबसे ज्यादा इसकी जरूरत हैं। इसका उदाहरण भटवलिया पंचायत हैं जहां प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी ने पिछले नौ माह पूर्व एक अंधा व दो दिब्याग समेत कई लोगो के राशन कार्ड को बिना किसी जांच व जानकारी दिए बिचौलिए के इशारे पर इनका राशन कार्ड रद्द कर दिया। ये सभी लाभुक अनाज के अभाव में एक एक शाम की भोजन के लिए इधर उधर भटक रहे हैं किसी को दया आ गयी तो खिला दिया या इन्हें भूखे रहना पड़ रहा हैं।एक नजर दौड़ाए तो भटवलिया पंचायत के नरुल्लाहा वार्ड-दस के 56 वर्षीय प्रभु सिंह उर्फ सूरदास जो जन्म से अंधे हैं। जिन्हें कोई देखने वाला नहीं हैं जिनका सहारा सरकार द्वारा दी जाने वाली पेंशन और खाने का राशन हैं। घर के नाम पर टूटी हुई एस्बेस्टस का एक घर हैं।एक समय खा रहे हैं तो दूसरे समय के लिए किसी का दरवाजा खटखटाते हैं। ठीक इन्ही की तरह वार्ड दस में ही एक हाथ से दिब्याग 60 वर्षीय शारदा हाजरा हैं जिनको नही बच्चे हैं ना तो पत्नी पूरी तरह राशन के अनाज पर इनका भोजन आधारित हैं।अभी बीमारी से जूझ रहे हैं मजदूरी की उम्र नहीं रहे अगल बगल के लोगो को दया आयी तो खिला दिया न ही तो भूखे सो जाना।इनकी मजबूरी हैं। नौतन गांव की 50 वर्षीय सुदामा देवी जो जन्मजात मूक बाधिर महिला हैं वहीं वार्ड-1 की तेतरी खातून हैं जो संग्रामपुर प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी और बिचौलिए के कोपभाजन का शिकार पिछले नौ महीने से बन कर दाने दाने के लिए मोहताज हैं। हालांकि इनके राशन कार्ड को रद्द किए जाने के बाद हुई जांच में जांच अधिकारी ने इन सभी को राशन का असली लाभुक बताते हुए प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी जागृति सिन्हा को फटकार लगाते हुए अबिलम्ब इन्हें राशन कार्ड उपलब्ध करवाने को कहा था लेकिन बिचौलिए के सामने इनकी एक नहीं चली और नौ माह में भी इन सभी को राशन कार्ड नहीं मिला। भोजन के अभाव के दौर से गुजर रहे इन चारों लाभुकों से जब सम्पर्क किया गया तो इन लोगों का कहना था कि आपूर्ति पदाधिकारी के कहने पर इन लोगो ने राशन कार्ड के लिए आवेंदन किया। आवेंदन के बाद बरवा पंचायत के एक पीडीएस दुकानदार का भतीजा जो जिले के एक वरीय पदाधिकारी के यहां रहने की बात बता कर इन सभी से सम्पर्क किया और प्रति राशन कार्ड पैतीस सौ रुपए की मांग की और नहीं दिए जाने पर कार्ड नहीं बनने की बात कह कर चला गया। और आज तक कार्ड नहीं बना।इससे साफ जाहिर होता हैं कि आपूर्ति विभाग पूरी तरह बिचौलिए के घेरे में हैं जिनका काम चिन्हित लोगो के राशन कार्ड को रद्द करवाना और पुनः पैसे की उगाही कर कार्ड बनवा देना उनका पेशा हैं।हालांकि एक माह पूर्व ऐसा ही मामला बरवा पंचायत में सामने आया था जहां जिले के वरीय अधिकारी के यहां रहने की बात कर पीडीएस दुकानदार का भतीजा कार्ड बनवाने के नाम पर लगभग दस लोगों से पैतीस पैतीस सौ की राशि वसूला था जब भंडाफोड़ हुआ तो पंचायत के ही एक जनप्रतिनिधि ने इस मामले में उक्त पीडीएस दुकानदार को फटकार लगाई तब जाकर कुछ वैसे लोगो का राशन कार्ड मिला और कुछेक के पैसे वापस करके
मामले को दबा दिया गया। अब सवाल यह उठता हैं कि आखिर आपूर्ति विभाग किसके इशारे पर राशन कार्ड के असली लाभुक का राशन कार्ड रद्द किया जा रहा हैं और फिर उसी राशन कार्डधारी से पैसे की उगाही कर फिर राशन कार्ड बन जाता हैं तो उच्चस्तरीय जांच का विषय हैं।
इस संबंध में संग्रामपुर प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी जागृति सिन्हा ने कहा कि यह विभागीय मामला हैं इसे विभागीय पदाधिकारी देखगे। आपूर्ति विभाग हैं थोड़ा इधर उधर चलता।