होली पर्व वैदिक नाम वास॑तीय नवसेस्टि–आचार्य प्रकाश च॑द्र
जहानाबाद (बिहार) से ब्यूरो चीफ मनोहर सिंह का रिपोर्ट।
जहानाबाद – प्रातः काल वैदिक यज्ञ आयोजन आचार्य प्रकाश चंद्र आर्य के आचार्यत्व में किया गया तत्पश्चात होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ प्रातः वैदिक यज्ञ के साथ किया गया। जिसमें सबों ने वेद मंत्रों में आहुति दे कर विश्व कल्याण और सौहार्द की कामना की । आचार्य प्रकाश चंद्र आर्य जी ने अपने उद्वोधन में बताया की होली पर्व वैदिक नाम वासंतीय नवसेष्टि पर्व अर्थात् बसन्त ऋतु के नये अनाजों से किया हुआ यज्ञ, परन्तु होली होलक का अपभ्रंश है। यथा– तृणाग्निं भ्रष्टार्थ पक्वशमी धान्य होलक: अर्धपक्वशमी धान्यैस्तृण भ्रष्टैश्च होलक: होलकोऽल्पानिलो मेद: कफ दोष श्रमापह। (भाव प्रकाश) अर्थात् :― तिनके की अग्नि में भुने हुए (अधपके) शमो-धान्य (फली वाले अन्न) को होलक कहते हैं। यह होलक वात-पित्त-कफ तथा श्रम के दोषों का शमन करता है !अधजले अन्न को होलक कहते हैं। इसी कारण इस पर्व का नाम होलिकोत्सव है और बसन्त ऋतुओं में नये अन्न से यज्ञ (येष्ट) करते हैं। इसलिए इस पर्व का नाम वासन्ती नव सस्येष्टि है। यथा―वासन्तो= वसन्त ऋतु। नव= नये। येष्टि= यज्ञ। इसका दूसरा नाम नव सम्वत्सर है ! मानव सृष्टि के आदि से आर्यों की यह परम्परा रही है कि वह नवान्न को सर्वप्रथम अग्निदेव पितरों को समर्पित करते थे। तत्पश्चात् स्वयं भोग करते थे। हमारा कृषि वर्ग दो भागों में बँटा है―(१) वैशाखी, (२) कार्तिकी। इसी को क्रमश: वासन्ती और शारदीय एवं रबी और खरीफ की फसल कहते हैं !फाल्गुन पूर्णमासी वासन्ती फसल का आरम्भ है। अब तक चना, मटर, अरहर व जौ आदि अनेक नवान्न पक चुके होते हैं। अत: परम्परानुसार पितरों देवों को समर्पित करें, कैसे सम्भव है ? तो कहा गया है :– अग्निवै देवानाम् मुखं अर्थात् अग्नि देवों–पितरों का मुख है जो अन्नादि शाकल्यादि आग में डाला जायेगा। वह सूक्ष्म होकर पितरों देवों को प्राप्त होगा। होली पर्व के मिलने मिलाने का पर्व है समाज से बुराइयों को मिटाने का पर्व है बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है एक दूसरे के जीवन में रंग और उमंग घोलने का पर्व है। इस होली पर सब लोगो ने मांस और किसी भी प्रकार का नाशा का सेवन नहीं करने का प्रतिज्ञा ले कर समाज में सद्भावना और सदाचार को बढ़ावा देने का संकल्प लिया। इसके बाद सब लोग ने वैदिक होली गीत गाकर सब लोग को होली की शुभकामनाएं दी तथा एक दूसरे को रंग गुलाल लगाया। यज्ञ की समाप्ति शांति पाठ एवं वैदिक ध्वनि ओ३म के उच्चारण के साथ किया गया। आज के कार्यक्रम में अजय कुमार (प्रधान), महेंद्र प्रसाद, अनिल आर्य, योग शिक्षक राकेश , संजय कुमार, सूर्य प्रकाश आर्य, शिशुपाल आर्य, गौतम प्रकाश, कृष्ण , प्रेम, श्रीमति पूनम , रंजना, सरिता देवी जी, श्रीमती विमला आर्या आदि आर्य सज्जनगण उपस्थित रहे।