जहानाबाद के आर्य समाज मंदिर में महर्षि दयानंद बोधोत्सव का किया गया आयोजन।

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जहानाबाद (बिहार) से ब्यूरो चीफ मनोहर सिंह का रिपोर्ट।

जहानाबाद –जिले के आर्य समाज मंदिर में महर्षि दयानंद बोधोत्सव का आयोजन किया गया । इस अवसर पर प्रातः काल संसार का सर्वश्रेष्ठ कर्म हवन-यज्ञ, यज्ञो वै श्रेष्ठमं कर्मः के संदेश के साथ सुश्री मोनी आर्यणी और सुश्री अमृता आर्या के संयुक्त आचार्यत्व में सम्पन्न किया गया। जिसमें सपत्नीक मंजू देवी और संजय कुमार मुख्य यजमान बने । तत्पश्चात भजन एवं प्रवचन का कार्यक्रम हुआ |

चांदनी आर्यणी ने इस अवसर पर कहा कि महर्षि दयानंद के जीवन महाशिवरात्रि का जागरण जो सच्चे शिव एवं परमात्मा को प्राप्त करने के लिए रखा था।उसी समय उन्हें बोध हो गया कि शिव कोई एक जगह एक मूर्ति में नही, शिव तो उस परमात्मा का एक नाम है जो देवों के देव हैं, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक एवं निराकार हैं। यह दिन उनके जीवन का महत्वपूर्ण दिन बन गया और वह सच्चे शिव की खोज में निकल पड़े और मूल शंकर से दयानंद बन गए । मथुरा में प्रज्ञाचक्षु गुरु विरजानंद दण्डी से शिक्षा प्राप्त कर सारे देश में वेदों का डंका बजाया, आर्य समाज की स्थापना की और अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं अन्य ग्रंथों की रचना की । अंधविश्वास, ढोंग पाखंड कुरीतियों को दूर किया एवं नारी शिक्षा, सबको वेद पढ़ने का अधिकार आदि पर जोर् दिया । जब देश गुलाम था एवं सैकड़ों वर्ष विदेशी आक्रमण के दौर में हमारे शिक्षा एवं संस्कृति को विकृत कर दिया गया था तो स्वामी जी ने वेदों का भाष्य किया, वैदिक संस्कृति एवं वेदो के ज्ञान से सभी को अवगत कराया जिसमें हमारी संस्कृति सबसे उन्नत एवं सुसज्जित एवं संस्कारी है । वेदों की ओर लौटो का नारा दिया ।

इसके बाद अनिल आर्य ने अपने उद्वोधन में बताया कि स्वामी जी पूरे देश में शास्त्रार्थ कर सिद्ध किया की वेद मनुष्य मात्र को पढ़ने का अधिकार है इसमें कोई जन्म आधारित जाति और स्त्री पुरुष का भेद नहीं है। उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज के कार्यक्रम का नेतृत्व महिलाओं को दिया गया और यज्ञ के ब्रह्मा के पद को सुशोभित कर रही हैं। वर्तमान में आर्य समाज के द्वारा भारतवर्ष में कई कन्या गुरुकुल संचालित है जहां वेदों उपनिषदों के साथ आधुनिक शिक्षा दी जाती है।

इसके बाद भजन के माध्यम से स्वामी दयानंद के जीवन पर प्रकाश डाला गया एवं सबों ने महर्षि दयानंद के स्वप्न कृण्वन्तो विश्वमार्यम् के लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प लिया । शान्ति पाठ एवं वैदिक उदघोष के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ । इस अवसर पर अनिल आर्य, विनोद चंचल, संजय आर्य, आशुतोष कुमार, डॉ संतोष कुमार, दिलीप आर्य, अजय आर्य एवं अन्य आर्य सज्जन उपस्थित रहे ।