जन्दाहा।एक शिक्षक का सुदूर गांव से विधान परिषद तक का सफर।

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बात एक ऐसे शख्सियत की जिनका पूरा जीवन बच्चों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के समर्पित रहा।
बात अफाक अहमद की, जिनकी वर्तमान पहचान सारण क्षेत्र से जनसुरज समर्थित एमएलसी का है। अगर उनके सफरनामा का जिक्र करें तो उनकी प्रारंभिक शिक्षा बेतिया के सिकता प्रखंड के एक छोटे से गांव लाल परसा से हुई, उसके बाद उन्होंने बेतिया आकर उच्च शिक्षा प्राप्त की तथा 21 साल की छोटी उम्र में ही शिक्षक की नौकरी प्राप्त की तथा अपने जीवन के 32 साल उन्होंने सरकारी शिक्षक के रूप में सेवा दी और सरकारी सेवा के दरमियान ही 1990 के दशक में एक ऐसा कालखंड आया जब स्कूली शिक्षा के गुणवत्ता में ह्रास होने लगा  तब इससे फिक्रमंद अफाक अहमद ने अपने विस्तृत सोच को अमलीजामा पहनाने के लिए सीमित संसाधन के साथ 1998 में नेशनल पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल की स्थापना की जिससे पढ़कर हज़ारों बच्चों ने अलग अलग क्षेत्रों मे सफलता का परचम लहराया तथा यह सिलसिला 26 साल बाद आज भी अनवरत जारी है। इसी बीच देश के प्रख्यात चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बिहार में व्यवस्था परिवर्तन एवं जनता के सुंदर राज्य की स्थापना के लिए पश्चिमी चंपारण की भीतिहरवा स्थित गांधी आश्रम से पदयात्रा की शुरुआत करते हैं और पदयात्रा के दौरान ही दो गांधीवादी सोच के अनुयायी प्रशांत किशोर और अफाक अहमद की मुलाकात होती है और सारण क्षेत्र से वह शिक्षक एमएलसी उपचुनाव में जनसुराज के समर्थन से चुनाव लड़ते हैं और भारी मतों से जीतते भी हैं जो जनसुराज के सही लोग, सही सोच तथा सामूहिक प्रयास का बानगी भी है कि कैसे भाजपा जैसे राष्ट्रीय दल के जिस क्षेत्र से पांच सांसद है वहां से एक गरीब किसान का बेटा चुनाव लड़ता है और भारी मतों से जीतता है और बिहार विधान परिषद के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई अल्पसंख्यक समाज का नुमाइंदा निर्वाचित होकर आया है। यह इस बात की तस्दीक़ भी करता है की आने वाले निकट भविष्य में जनता के सुन्दर राज के लिए अफाक अहमद जैसे बहुतेरे लोग चुन कर आएंगे जो जनसुराज के सही लोग, सही सोच और सामूहिक प्रयास के संकल्प को जमीनी स्तर पर चरितार्थ करेंगे।निशांत पटेल