चंपारण की खबर::भैया दूज पर बहन का श्राप भाइयों के लिए होता है आशीर्वाद

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मोतिहारी, राजन द्विवेदी।

काशी से अन्यत्र गोवर्धन पूजा तथा अन्नकूट का पावन त्योहार बुधवार 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा। वही भ्रातृ द्वितीया या भैया दूज का प्रसिद्ध पर्व एवं चित्रगुप्त पूजा व कलम-दवात पूजा का मान उसके कल अर्थात् गुरुवार 23 अक्टूबर को होगा। इसी दिन प्रातःकाल से बहनें श्रापन की परंपरा का निर्वहन भी करेंगी। कार्तिक शुक्लपक्ष द्वितीया तिथि यम द्वितीया व भ्रातृ द्वितीया (भैया दूज) के नाम से प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर भोजन कराया था। इस अवसर पर यमलोक में उत्सव भी हुआ था।
उक्त जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी।
उन्होंने बताया कि इस दिन बहन के घर जाकर उनके हाथ का बना हुआ भोजन करने व उन्हें यथाशक्ति दान देने से कर्मपाश में बंधे हुए नारकीय पापियों को भी यमराज छोड़ देते हैं। इस तिथि में बहन के द्वारा अपने भाइयों को श्रापने की परंपरा है और पुनः बहनें अपने जिह्वा पर रेंगनी के कांटों को चुभाती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बहन का श्राप भाइयों के लिए आशीर्वाद होता है। बहनें इस दिन भाई के माथे पर तिलक लगाकर भाई के दीर्घ जीवन की कामना करतीं हैं। इस दिन अपने घर भोजन नहीं कर बहन के घर जाकर उनके हाथ का बना हुआ भोजन करने से बल, पुष्टि, धन, यश, आयु, धर्म, अर्थ और अपरिमित सुखों की प्राप्ति होती है। प्राचार्य पाण्डेय ने चित्रगुप्त पूजा के बारे में बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार ब्रह्माजी ने एकाग्रचित्त होकर समाधि लगाई और अंत में विश्रांतचित हुए,उस समय ब्रह्मा के शरीर से बड़े-बड़े भुजाओं वाले, श्यामवर्ण, कमल के समान नेत्र वाले, शंख के तुल्य गर्दन, चक्रवत मुख, हाथ में कलम-दवात लिए एक पुरुष की उत्पत्ति हुई। तब ब्रह्माजी अपने शरीर से उत्पन्न पुरुष को बोले कि तुम मेरे काया से उत्पन्न हुए हो इसलिए तुम्हारी कायस्थ संज्ञा होगी और पृथ्वी पर चित्रगुप्त के नाम से विख्यात होगे। धर्मराज की यमपुरी में धर्माधर्म के विचार व लेखा-जोखा के लिए उन्हें अधिकृत किया। ऐसी मान्यता है कि चित्रगुप्त से श्रीवास्तव, गौड़, माथुर, भटनागर, अहिष्ठाना (अस्थाना), अम्बष्ट आदि लोग उत्पन्न हुए।