अमावां पश्चिमी पंचायत में स्वच्छता अभियान फेल:बीमारियों का डर,ग्रामीण बेहाल

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रजौली


प्रखंड के अमावां पश्चिमी पंचायत में इन दिनों गंदगी का साम्राज्य पसरा हुआ है, जिससे ग्रामीण गंभीर बीमारियों के भय में जी रहे हैं।भारत सरकार के महत्वाकांक्षी स्वच्छता अभियान का यहां खुलेआम मखौल उड़ाया जा रहा है,क्योंकि पिछले एक महीने से पंचायत में कचरा उठाने का कार्य पूरी तरह से ठप पड़ा है।पंचायत के विभिन्न वार्डों में जगह-जगह कूड़े-कचरे का ढेर लगा हुआ है।प्लास्टिक,घरेलू अपशिष्ट और सड़ी-गली चीजें सड़कों और नालियों के किनारे जमा हो रही हैं,जिससे भयंकर दुर्गंध फैल रही है।स्थानीय निवासी मुक्कन राय, महेंद्र मेहता और अंकित कुमार समेत कई ग्रामीणों ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि लगभग आठ महीने पहले पंचायत में कचरा उठाने का कार्य शुरू हुआ था,जिससे लोगों को काफी राहत मिली थी और आस-पास का माहौल स्वच्छ दिख रहा था।लेकिन, पिछले एक महीने से अचानक यह काम बंद हो गया है।ग्रामीणों का कहना है कि इस गंदगी के कारण संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा लगातार मंडरा रहा है।खुले में पड़े कचरे पर मक्खियां और मच्छर पनप रहे हैं,जिससे मलेरिया, डेंगू,टायफाइड और पेट संबंधी बीमारियों का प्रकोप बढ़ने की आशंका है।खासकर, आगामी बरसात के मौसम में स्थिति और भी विकराल रूप ले सकती है,जब पानी जमा होने से मच्छरों का आतंक बढ़ जाएगा। बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर इसका सीधा और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

क्या कहते हैं सफाईकर्मी :-

सफाई करने वाला नरेश चौधरी समेत कई लोगों ने बताया कि हमलोग गरीब परिवार से हैं,जो रोज कमाते हैं,तभी खाते हैं।लेकिन विगत छह महीने से हमलोगों को साफ-सफाई करने के बावजूद मेहनताना नहीं मिला है,जिससे भूखे मरने की नौबत आ गया है।काम के बदले पगार नहीं मिलेगा,तो हमलोग काम कैसे करेंगे।सफाई कर्मचारियों ने जल्द से जल्द बकाया राशि दिलाने की मांग जनप्रतिनिधी व स्वच्छता पदाधिकारी से की है।

क्या कहते हैं मुखिया:-

जब इस गंभीर समस्या को लेकर पंचायत की मुखिया उपेन्द्र यादव से बात की गई,तो उन्होंने पंद्रह से बीस दिनों से कचरा उठाव कार्य बंद होने की बात स्वीकार की।साथ ही उन्होंने कहा कि कचरा वाहन पलट जाने एवं चालक को चोट लगने कारण,नहीं आने से यह कार्य बाधित हुआ है और इसे जल्द ही शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है।साथ ही मुखिया ने बताया कि सफाई कर्मियों को नियमित पैसा दिया जाता रहा है।लेकिन अब पैसा जिले से मिलता है,जिसके कारण देरी होता है।जिला में एडवाइस स्वच्छता प्रवेक्षक पिंकू कुमार बनाकर देते हैं,तभी मजदूरों को पैसा मिलता है।तीन महीने की राशि बनाकर भेजा गया है,जल्द ही राशि मजदूरों के खाते में जमा हो जाएगा।


स्थानीय प्रशासन से लगाया गुहार:-

परेशान ग्रामीणों ने प्रखंड समेत जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारियों से पुरजोर मांग की है कि इस अति महत्वपूर्ण समस्या पर तत्काल ध्यान दिया जाए।उन्होंने आग्रह किया है कि कचरा उठाने का कार्य अविलंब पुनः शुरू कराया जाए और पंचायत को बीमारियों के प्रकोप से बचाया जाए।ग्रामीणों का कहना है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ,तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।यह न केवल स्वच्छता का प्रश्न है, बल्कि ग्रामीणों के स्वास्थ्य और जीवन से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा भी है।


क्या कहते हैं पदाधिकारी :-

इस संबंध में प्रखंड स्वच्छता बीरेंद्र कुमार से जानकारी लेने हेतु दर्जनों बार दूरभाष के माध्यम से प्रयास किया गया,किंतु उन्होंने कॉल उठाना मुनासिब नहीं समझा।

वहीं प्रखंड विकास पदाधिकारी संजीव झा ने बताया कि काम करने वाले सफाईकर्मी का मानदेय जिला से ग्राम पंचायत के खाते में भेजा गया है।वहीं सफाई कार्य नहीं करने वाले करने वाले कर्मी की पहचान कर उनके मानदेय में कटौती की जाएगी।साथ ही बताया कि उक्त मामले को लेकर पंचायत सचिव और स्वच्छता पर्यवेक्षक को सख्त निर्देश दिए गए हैं।