
मोतिहारी / राजन द्विवेदी।
एमडीआर टीबी मरीजों का अब रीजीम बीपाल्म दवा से इलाज होगा। इस दवा का कोर्स छह महीने का है। इसे 14 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ही दी जाएगी। इसको लेकर जिला यक्ष्मा केंद्र में संचारी रोग पदाधिकारी डॉ संजीव की अध्यक्षता और डब्लूएचओ के राज्य प्रतिनिधि कुमार गौरव की देखरेख में सुपरवाइजरों का प्रशिक्षण कराया गया है। सीडीओ डॉ संजीव ने कहा कि जिले से बीपाल्म रेजिमेन के तहत ड्रग रेजिस्टेंट टीबी मरीजों को दवा देने की शुरुआत जल्द ही की जाएगी। यह दवा एमडीआर के उपचार में काफी असरदार है।
बताया कि टीबी के मरीजों में इलाज के दौरान गलत तरीके से दवाओं के सेवन करने अथवा दवा का पूरे कोर्स का सेवन नहीं करने से ही एमडीआर टीबी होती है। जब मरीज टीबी का इलाज करा रहा होता है, उस दौरान टीबी की दवाओं का सही तरीके से सेवन न होने या दुरुपयोग होने की वजह से एमडीआर टीबी हो जाता है। इस समस्या में मरीजों के शरीर में मौजूद ट्यूबरक्लोसिस के बैक्टीरिया दवाओं के प्रति रेजिस्टेंट हो जाते हैं। उन पर दवाओं का असर बिल्कुल भी नहीं होता है। इसके अलावा एमडीआर टीबी का दूसरा सबसे बड़ा कारण एमडीआर मरीज के संपर्क में आना है। ऐसे मरीज जो एमडीआर टीबी की समस्या से पीड़ित हैं, उनके संपर्क में आने से भी यह समस्या हो सकती है।
इस मौके पर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ संजीव, डॉ सुनील कुमार, अमरेंद्र कुमार, अरविन्द कुमार व अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे।