बीती शाम डॉ मुहम्मद मुस्तमिर
हाली उर्दू अकादमी के तत्वावधान में आयोजित
डॉक्टर जमील अहमद जमील रामपुरी की याद में उनकी पहली बरसी के अवसर पर एक साहित्यिक एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। डॉ जमील अहमद जमील पिछले वर्ष 25 अक्टूबर 2023 को स्वर्ग सिधार गए थे। इस अवसर पर उनके सुपुत्र डॉक्टर तमसील अहमद और प्रसिद्ध शायर डॉक्टर जहूर अहमद जहूर ने अपने पिता की याद में साहित्यिक एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन करके उनको सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की। सबसे पहले पवित्र कुरान का पाठ किया गया। स्थानीय एवं गैर स्थानीय विभिन्न लोगों ने डॉक्टर जमील अहमद जमील की व्यक्तित्व, किरदार, स्वभाव, नैतिक मूल्यों तथा उनकी बौद्धिक गतिविधियों से संबंधित अपने विचार व्यक्त किये। जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय से पधारे असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मुहम्मद मुस्तमिर ने डॉक्टर जमील अहमद के व्यक्तित्व एवं कला से संबंधित भरपूर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि डॉक्टर जमील अहमद न केवल पेशे से एक डॉक्टर थे बल्कि वह एक चहु मुखि प्रतिभा के मालिक थे। छोटी जगह पर ऐसी महान हस्ती का होना बहुत बड़ी बात है। ईश्वर ने उनको एक साथ अनगिनत योग्यताओं से नवाजा था। वे केवल एक मैदान में प्रवीणता एवं कुशलता नहीं रखते थे बल्कि उनको विभिन्न कलाओं एवं विषयों पर गहरी पकड़ एवं सूझबूझ प्राप्त थी। वे एक अच्छे शायर, गहरी और पारखी नजर रखने वाले इतिहासकार और वैज्ञानिक भी थे। उनकी लिखित मेडिकल साइंस की किताबों में मॉडर्न रीजंस ऑफ़ डिजीज एंड ट्रीटमेंट, इस्लाम एंड डेवलपमेंट लाइफ, टेंपरामेंट मिक्सिंग, तथा इतिहास के क्षेत्र में उनकी पुस्तक “इतिहास यह भी है” को कभी बुलाया नहीं जा सकता। मेडिकल साइंस की दुनिया में उनके शोध पत्रों को न केवल सराहा गया बल्कि उनको इसके बदले में पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के कर कमल द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया गया था। इस अवसर पर साहित्यिक सभा का आयोजन भी किया गया जिसमें डॉक्टर जमील अहमद जमील के व्यक्तित्व एवं कला तथा उनके चरित्र के हवाले से लोगों ने कविता के माध्यम से अपने विचार प्रकट करके उनको सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की। जिन शायरों ने अपना कलाम एवं गजलें पेश की उनके नाम इस प्रकार हैं:
एक बेटी रह गई थी घर में रौनक की तरह
उसका रिश्ता हो गया और मैं अकेला हो गया
(वसीम राजू पुरी)
हम पे ऐसे भी जमाने आए
जब हमें अपने मिटाने आए।
(जहूर रामपुरी)
किसी के सिर्फ कह देने से सरदारी नहीं मिलती
जो सर को दार पर रख दे वही सरदार होता है
(जुनैद अख्तर कांधलवी)
तहजीब मेरी पनपी है कुछ ऐसे चमन में
नरगिस मेरे आंगन में है तुलसी मेरे आगे
(मुहम्मद मुस्तमिर)
दम आ गया है देख ले खींचकर निगाह तक
किसने कहा था तुझ से कि तू उसकी राह तक
(खुर्रम सुल्तान)
हिजरत भी जो करते हैं तो होते हैं जफर याब
हम डर के फसादात से हिजरत नहीं करते हैं
(उस्मान उस्मानी कैरानवी)
अभी तो लहजा ही बदला है सिर्फ बेटे ने
अभी तो और जमाना खराब आएगा
(नईम अख्तर देवबंदी)
कुव्वते अजमो अमल और बढ़ा देता है
मेरा दुश्मन मुझे जीने की अदा देता है
(राशिद बिस्मिल राजू पुरी)
साया हमेशा जिसका रहा मेरे सर पे भी
छत भी चली गई है मेरा घर चला गया
(नसीम आजाद)
खुशहाल मुझको देख कर हैरत न कीजिए
मां की दुआ से मेरी भी किस्मत बदल गई
(नूर रामपुरी)
बोझ बनकर नदी में डूबा था
लाश बनकर उभर के आया हूं
(तन्हा मालिक)
शब गुजरती है तौबा कर करके
सुबह फिर से गुनाह करता हूं
मुशायरा के प्रारंभ से पहले हाफिज मोहम्मद काजिम, आबिद नेता, खलील मेंबर, नुसरत अली, मुफ्ती साकिब, मिस्त्री शकील के कर काम द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हाफिज मोहम्मद काजिम ने की और संचालन मशहूर शायर खुर्रम सुल्तानपुर ने किया। कार्यक्रम में लगभग पचास श्रोतागण शामिल रहे। अंत में आयोजक मुशायरा डॉक्टर जहूर अहमद जहूर ने सभी मेहमानों और श्रोतागण का दिल की गहराइयों से धन्यवाद व्यक्त किया।
रिपोर्ट वैभव गुप्ता।