रिपोर्ट वैभव गुप्ता।
शुक्रवार को प्रातः मंदिर में पांडुक शिला पर श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान कर अभिषेक और शांतिधारा की गई। उसके पश्चात नित्य नियम पूजा की गई विधान की क्रिया प्रारम्भ हुई। शाम के समय महाआरती की गई उसके बाद तंबोला प्रतियोगिता कराई गई। इस अवसर पर प्रवचन देते हुए पंडित अंकित शास्त्री ने कहा कि उत्तम संयम का छटा दिन उत्तम संयम का दिन है *इस संसार में संयम धर्म दुर्लभ है,जो प्राप्त कर उसे छोड़ देता है वह मूढ़मति है, वह जरा और मरण के समूह से व्याप्त इस संसार रूपी वन में परिभ्रमण करता रहता है,पुन: वह सुगति को कैसे प्राप्त कर सकता है,पाँचों इन्द्रियों के दमन करने से संयम होता है,कषायों का निग्रह करने से संयम होता है,दुर्धर तप के धारण करने से संयम होता है,और रस परित्याग के विचार भावों से संयम होता है,उपवासों के बढ़ाने से संयम होता है,मन के प्रसार को रोकने से संयम होता है,बहुत प्रकार के कायक्लेश तप से संयम होता है,और परिग्रहरूपी पिशाच के छोड़ने से संयम होता है। इस दौरान जैन समाज के प्रधान मनोज जैन,महामंत्री निपुण जैन, मंत्री अभिषेक जैन,शशांक जैन,अनुराग जैन, भूपेंद्र जैन, अंशुल जैन,विपुल जैन,अभिषेक जैन (शास्त्री),आर्जव जैन, सुधीर जैन,अर्पित जैन,अरविंद जैन,वीरेश जैन,आकाश जैन सहित समाज के सैकड़ों महिला पुरुष मौजूद रहे ।