रिपोर्ट वैभव गुप्ता।
बुधवार को प्रातः श्रद्धालुओं ने बड़े जैन मंदिर में पांडुक शिला पर श्री पुष्पदंत नाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान कर अभिषेक और शांतिधारा की उसके पश्चात पूजा कर निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। निर्वाण लाडू चढ़ाने का सौभाग्य अभिषेक जैन को प्राप्त हुआ। इंद्र इंद्राणी बने श्रद्धालुओ ने देवांग जैन के भजनों पर जमकर नृत्य किया। इस दौरान श्रद्धालुओ को संबोधित करते हुए पंडित अंकित शास्त्री ने कहा कि दशलक्षण महापर्व का चौथा दिन उत्तम शौच धर्म का दिन है। उत्तम शौच का अर्थ है आंतरिक और बाह्य शुद्धता। यह न केवल शरीर की शुद्धता की बात करता है बल्कि मन वचन और और कर्म की शुद्धता पर भी बल देता हैं। व्यक्ति को अपने विचारो और कार्य में शुद्धता का पालन करना चाहिए ताकि वह आत्मशुद्धि के मार्ग पर अग्रसर हो सके। इस दौरान जैन समाज के प्रधान मनोज जैन,महामंत्री निपुण जैन, अभिषेक जैन, अनुराग जैन, शशांक जैन, भूपेंद्र जैन, वीरेश जैन, अंशुल जैन, विपुल जैन, अर्पित जैन, आर्जव जैन, सुधीर जैन, विजय जैन, ललित जैन, नवीन जैन, अरविंद जैन सहित समाज के सैकड़ों महिला पुरुष उपस्थित रहे।