सहारनपुर/उप्र/रामपुर मनिहारानअखिल भारतीय सोहम मंडल पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानन्द जी महाराज ने कहा कि

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आज की युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति को त्याग कर पाश्चात्य संस्कृति की ओर दौड़ रही है जो चिंता का विषय है।


रिपोर्ट वैभव गुप्ता।


अखिल भारतीय सोहम महामंडल की स्थानीय शाखा के तत्त्वावधान में आयोजित सात दिवसीय सत्संग में महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद जी महाराज के कृपापात्र सोहम पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानन्द जी महाराज ने कहा कि आज की पीढ़ी के विचलित हो कर पश्चिमी सभ्यता को धारण करने में माता पिता का दोष है जो धन संचय के फेर में उलझ कर अपने बच्चों के लिए भी समय नहीं निकाल सकते। उन्हें इस बात का भी आभास नहीं है कि बच्चे किस संगत में रहते हैं । उन्होंने कहा कि जब माता पिता अपने बच्चों को पास बैठा कर उन्हें संस्कार देंगे तो बच्चे भी उसी मार्ग पर चलेंगे। अपनी संस्कृति का त्याग कर पश्चिमी सभ्यता की ओर दौड़ना भविष्य के लिए घातक साबित होगा। उन्होंने कहा कि इसमें सुधार करने के लिए सत्संग अत्यंतावश्यक है। उन्होंने कहा कि सत्संग के माध्यम से जीवन जीने का तरीका प्राप्त होता है।अनेकों समस्याओं को सहन करने की समझ आती है। सत्संग के माध्यम से ही जीवन का सार ,लक्ष्य, मूल्य और उद्देश्य समझ में आता है। सत्संग से जीवन की गलतियों में सुधार किया जा सकता है।इसी माध्यम से हमें अपनी संस्कृति, धर्म व कर्म आदि के विषय में जानकारी हो पाती है।अच्छे बुरे का अंतर समझ में आता है। जीवन जीने के लिए वैराग्य, निष्काम कर्मयोग, भक्तियोग एवं ज्ञानयोग आदि साधनों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। हमें हमारे पूर्वजों के इतिहास की जानकारी होती है। भगवान और भक्तों की चर्चाएं सुनकर हृदय पवित्र होता है।वर्तमान परिपेक्ष्य में समाज में फैली हुई बुराइयों को दूर करने की अति आवश्यकता है। इसके सुधार की कुंजी मात्र सत्संग ही है। स्वामी प्रंवानन्द, स्वामी नारायणा नन्द ने कहा कि संतसेवा, देवसेवा, अतिथि सेवा, माता- पिता की सेवा, बुजुर्गो की सेवा,अनाथ असहाय की सेवा, गौसेवा आदि विषयों को सत्संग के माध्यम से ही बताया जा सकता है।