सहारनपुर/उप्र/भीषण गर्मी और लू के बावजूद भी चौराहों पर डटे हैं ट्रैफिक पुलिस के सिपाही, यातायात व्यवस्था को लेकर मुस्तैद हैं।

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ब्यूरो चीफ सहारनपुर।

सहारनपुर में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया है, और नगर में यातायात पुलिस बल पर लगातार गर्मी का असर पड़ रहा है, भीषण गर्मी के बावजूद, ये समर्पित अधिकारी/कर्मचारी अथक परिश्रम से यातायात को नियंत्रित कर रहे हैं, नागरिकों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित कर रहे हैं, जबकि अधिकांश लोग दिन के सबसे गर्म घंटों के दौरान घर के अंदर रहना पसंद करते हैं, ट्रैफ़िक पुलिस सड़कों और चौराहों पर बाहर रहते हैं, ट्रैफ़िक यातायात नियमों को लागू करने और लापरवाह ड्राइविंग से निपटने के लिए सूरज की कठोर किरणों का सामना करते हैं, कुछ नागरिकों की आलोचना का सामना करने के बावजूद, ये ट्रैफिक पुलिस अधिकारी/कर्मचारी बारिश या धूप में भी अपने कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध रहते हैं, सूरज की तपिश अब सुबह से हर किसी को झुलसाने लगी है, दोपहर होने तक तो ये भीषण गर्मी आग के शोलों से कम नहीं है, आग उगलती गर्मी में अगर सड़क पर कोई अपनी ड्यूटी निभाता नजर आता है, तो वह हैं ट्रैफिक सिपाही, शनिवार की सुबह 11:30 बजे का समय था, इस वक्त तक तापमान 42 डिग्री तक पहुंच चुका था, हर कोई धूप से बचने की जुगत में था, इस गर्मी में अगर कोई चौराहे पर दिखा तो वह ट्रैफिक पुलिसकर्मी, घण्टाघर, अम्बेडकर चौक, अस्पताल चौक व विश्वकर्मा चौराहे पर जाम की स्थिति पैदा न हो इसलिए कड़ी धूप में ट्रैफिक कर्मी चौराहे पर खड़े होकर ट्रैफिक को निकलवा रहे थे, जैसे ही ट्रैफिक कुछ कम नजर आता ये पुलिसकर्मी गर्मी से बचने के लिए फल की ढकेल के पास कुर्सियों पर आकर कुछ देर के लिए बैठ जाते, मगर चौराहे पर ट्रैफिक ज्यादा रहता है, इसलिए वक्त बैठने को कम मिल पाता है, राहत की कोई संभावना न होने के कारण, यातायात पुलिस नगर के व्यस्त चौराहों, राजमार्गों और महत्वपूर्ण सड़कों पर तैनात है, हालांकि, इनमें से कई स्थानों पर पर्याप्त छाया नहीं है, जिससे ट्रैफिक पुलिस को घंटों तक कठोर धूप में रहना पड़ता है, पुरुष और महिला दोनों ही पुलिसकर्मी गर्मी के प्रभाव को महसूस कर रहे हैं, इस दौरान यातायात प्रभारी अमित तोमर ने कहा कि ट्रैफिक पुलिस मुस्तैदी के साथ अपना कर्तव्य का निर्वाह कर रही है, भीषण गर्मी के कारण आमजन के साथ ही यातायात ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी भी धूप में परेशान रहते है, जब दोपहर की कड़ी धूप में चौराहों पर जाम को खुलवाने में जवान को पसीने छूटे रहते हैं, ऐसे में जब यातायात की समस्या ना के बराबर हो तो कुछ जवान छाह में रहकर भी नियंत्रक कर सकते हैं।