इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट फाउंडेशन (आइडीएफ) ने 2030 ई० तक बाल विवाह मुक्त भारत बनाने का लिया संकल्प

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कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन और एक्सेस टू जस्टिस फॉर चिल्ड्रन कार्यक्रम की सहयोगी संस्था
इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट फाउंडेशन (आइडीएफ) के
कार्यक्रम प्रभारी मो० शकील अनवर ने विश्व युवक केंद्र, नयी दिल्ली में15 मई से 18 मई 2024 तक आयोजित राष्ट्रीय स्तर के उन्मुखीकरण सह योजना निर्माण कार्यशाला में भाग लिया। इस कार्यशाला में देश भर के 22 राज्यों से आये हुए ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तकरीबन 200 सहयोगी संगठनों ने भाग लिया। इन खात्मे के लिए असाधारण एकता और दृढ़ निश्चय का प्रदर्शन करते हुए 2024-25 के लिए बाल विवाह के खिलाफ रोडमैप तैयार करने के लिए कार्यशाला में मिले विचारों और उस पर अमल को उत्साहित दिखे। कार्यशाला में प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता श्री भुवन ऋभु ने कहा की हम अतीत से सीखते हैं और उन सीखों को लेकर आगे बढ़ते हैं। उन्होंने आगे कहा की, ” ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान जमीनी स्तर पर 2022 में शुरू हुआ, जिसने अपनी पहुंच, प्रभाव और सहयोगियों के नेटवर्क में उल्लेखनीय विस्तार किया है। पिछले वर्ष तक अभियान के 161 सहयोगी संगठन देश के 17 राज्यों के 300 जिलों में काम कर रहे थे, जबकि अब यह अभियान 22 राज्यों तक पहुंच चुका है। इनमें से ज्यादातर जिले ऐसे हैं जिन्हें बाल विवाह की ऊंची दर वाले जिलों के रूप में चिह्नित किया गया है। यद्यपि अभियान का मुख्य फोकस बाल विवाह पर है, लेकिन यह बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल यौन शोषण जैसे बच्चों के सुरक्षा व संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर भी काम कर रहा है।


कार्यशाला में मिले अनुभवों और सीखों के बारे में बात करते हुए इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट फाउंडेशन (आइडीएफ) के कार्यक्रम प्रभारी मो० शकील अनवर ने कहा, “हमारे लिए यह गर्व की बात है, कि बाल अधिकारों के लिए काम कर रहे हमारे जैसे तमाम संगठन बाल विवाह के खात्मे के साझा लक्ष्य के लिए साझा प्रयास कर रहे हैं। इस कार्यशाला में हमने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नए और लक्ष्य केंद्रित तरीके सीखे। इस नए रोडमैप के साथ हम जमीनी स्तर पर नए विचारों पर अमल में सक्षम होंगे। इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट फाउंडेशन (आइडीएफ) आश्वस्त है, कि वह मुजफ्फरपुर जिला को और अंतत: राज्य को 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाएगा। साथ ही राज्य और अपने जिले में बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति करेंगे। हम अपने जिले में पंचों, मुखियों / सरपंचों, पंचायतों, जिला परिषदों आदि के साथ मिलकर काम करते रहेंगे। जमीनी स्तर पर जन-जागरूकता अभियानों और कानूनी हस्तक्षेपों के माध्यम से हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि लोगों में नैतिक जवाबदेही का भाव पैदा करने के अलावा उन्हें इस बाबत जागरूक किया जा सके कि बाल विवाह अपराध है और उन्हें इस गैरकानूनी काम के नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।” इस राष्ट्रीय कार्यशाला में चले मंथन के बाद 2024-25 के लिए अभियान के रोडमैप पर सहमति बनी जिसमें तय किया गया कि बच्चों के अधिकारों के संरक्षण में कानूनी दखल सबसे प्रभावी औजार है। इन गैरसरकारी संगठनों का उद्देश्य अपने जिलों में जिला प्रशासन और बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) के साथ समन्वय से बाल विवाह के खिलाफ बने कानूनों पर अमल सुनिश्चित करना और जन-जागरूकता अभियान चलाना, लोगों को बाल विवाह नहीं करने के लिए समझाना – बुझाना और कानूनी उपायों की मदद से बाल विवाह की रोकथाम करना है। इस अभियान के मूल में बाल विवाह के खात्मे के लिए प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु की बेस्टसेलर किताब ‘व्हेन चिल्ड्रन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज’ में सुझाई गई कार्ययोजना है। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए राज्य सरकारों व प्रशासनिक अमले के साथ करीबी समन्वय के साथ सहयोगी है। कार्यशाला में तय रोडमैप पर तत्काल अमल की जरूरत को रेखांकित करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के संयोजक रवि कांत ने कहा, “बाल विवाद जैसी समाज में गहरे जड़े जमाए बैठी सामाजिक बुराई के खात्मे के लिए इस तरह के बड़े पैमाने पर साझा रणनीतिक प्रयास अहम हैं। अगर इस चुनौती से निपटना है तो एक साझा और सोची-समझी रणनीति पर अमल जरूरी है। जमीन पर काम कर रहे इन गैर-सरकारी संगठनों का असर व्यापक है लेकिन एक सामूहिक अभियान के सदस्य के तौर पर ये जिस ऊर्जा का संचार करते हैं, वह अकल्पनीय बदलाव लाने की ताकत रखती है। आज बाल विवाह के लिए ग्राम प्रधानों की जवाबदेही तय करके और यह सुनिश्चित करके कि इस मुद्दे पर सभी हितधारक आपसी समन्वय और तालमेल से काम करें, सरकारें और कानून प्रवर्तन एजेंसियाओ अहम कदम उठा रही हैं जो बाल विवाह के खात्मे की उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं। बाल विवाह की कुरीति सदियों से जारी है लेकिन अब समय आ गया है जब इसे उखाड़ फेंका जाए। “
इस अवसर पर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट फाउंडेशन (आइडीएफ) के कार्यक्रम प्रभारी मो० शकील अनवर ने कहा, की “इस राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा होना हमारे लिए गर्व का विषय है। बाल विवाह की जड़ें बहुत गहरी हैं और इस चुनौती के खिलाफ एक सामूहिक लड़ाई ही देश से बाल विवाह के खात्मे को संभव बना सकती है। कार्यशाला में 2024-25 के लिए तय रोडमैप में यह पूरी तरह स्पष्ट है, कि कानूनी दखल इसकी रोकथाम के लिए सबसे प्रभावी औजार है और हम आश्वस्त हैं कि कानूनी कार्रवाइयों और लक्षित निषेधाज्ञाओं से इस वर्ष हमें बड़ी संख्या में बाल विवाहों को रोकने में सहायता मिलेगी।