सामाजिक समरसता के नायक थे भीमराव अंबेडकर:- कुलपति, प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय

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*कासिंदसंवि दरभंगा:-* बाबा साहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर की जयंती पर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्ववविद्यालय, दरभंगा के दरबार हाल में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि वे सच्चे अर्थों में सामाजिक समरसता के नायक थे, पुरोधा थे। विलक्षण प्रतिभा के धनी डॉ. अंबेडकर ने महिलाओं, शोषितों, दलितों, पीड़ितों के समेकित उत्थान के लिए जो कार्य किये, भारतीय संविधान में इसके लिए जो व्यवस्थाएं की वे अविस्मरणीय हैं और अनुकरणीय भी।
आगे कुलपति प्रो. पांडेय ने कहा कि उनका सम्पूर्ण जीवन संघर्षमय रहा। शास्त्रों में, वेदों में सम्पूर्ण मानव जाति की उन्नति व समानताओं की बात कही गयी है। उनके समय भी ग्रन्थ यही कहता था लेकिन तत्कालीन सामन्तवादी सोच व जमींदारी व्यवस्था समाज में आपसी समानता को जमने नहीं दे रही थी। इससे कहीं न कहीं भारतीय सामाजिक ताना-बाना प्रभावित हो रहा था और छुआछूत जैसी कुरीति अधिकांश लोगों के जीवन को नारकीय बना रखी थी। ऐसे में डॉ. भीमराव ने समानता के साथ सामाजिक सुधार के लिए न सिर्फ संघर्ष किया बल्कि भारतीय संविधान में भी इसके लिए उपयुक्त उपाय व व्यवस्थाएं की। वे अपनी पीढ़ी के सबसे अधिक शिक्षित थे। विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री लेने वाले वे पहले भारतीय थे। भारतीय संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा के वे अध्यक्ष भी थे। उनकी बृहत दूरगामी सोच व अद्भुत प्रतिभा से तैयार संविधान ने देश को एक नई दिशा व दशा दी। उन्हें फादर ऑफ कन्स्टीच्यूशन की भी उपाधि दी गयी है। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में हुई थी। कुलपति ने यह भी कहा कि उनके आदर्शों को हम सभी अपनाएं। यही उनके लिए सच्ची पुष्पांजलि होगी।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती व डॉ. अंबेडकर के चित्रों पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन के बाद हुई। कई वक्ताओं ने बाबा साहब के अमूल्य कृत्यों पर प्रकाश डाला। प्रभारी कुलसचिव डॉ. पवन कुमार झा ने बाबा साहेब के सम्पूर्ण जीवनवृत्त को विस्तार से रेखांकित किया और उन्हें देश के लिए अनमोल धरोहर बताया। वहीं, डॉ. विनय कुमार मिश्रा ने भी भारतीय समाज के लिए उनके अवदानों को गिनाया। मौके पर डॉ. उमेश झा, डॉ. दिनेश झा, डॉ. पुरेन्द्र वारिक, डॉ. संतोष कुमार पासवान, डॉ. रितेश चतुर्वेदी व डॉ. धीरज पांडे समेत कई अन्य प्राध्यापक, छात्र व कर्मचारी उपस्थित थे।