ग्रामीणों ने कहा युवकों के लिए प्रेरणा ।
जहानाबाद (बिहार) से ब्यूरो चीफ मनोहर सिंह का रिपोर्ट।
जहानाबाद –जिले के काको प्रखंड अंतर्गत डेढ़ सैया गांव में एक गांव के युवक ने सरकारी अफसर बनकर गांव का नाम रौशन किया । जबकि शारीरिक अक्षमता के बाबजूद भी वह कर दिखाया जो बहुत ही कम लोग कर पाते हैं ।जहां आज के युवक युवतियां पूरी तरह से स्वस्थ होने पर भी थोड़े से विकट प्रस्थिती में अपना संतुलन खो देते हैं, तो ऐसे में दोनों पैरों से लाचार डेढ़सैया के विकास कुमार कि कहानी वाकई प्रेरणा दायक है। यह प्रेरणा दायक है उन युवाओं के लिए जो थोड़े से विकट प्रस्थिति में विचलित हो जाते हैं ,।यह प्रेरणा दायक है उन लोगों के लिए जो अपने थोड़े से शारीरिक अक्षमता का हवाला देकर पूरी जिंदगी दूसरे पर बोझ बनकर रह जाते हैं ।यह प्रेरणा दायक है उनके लिए जो किस्मत का हवाला देकर अपना सर पीटते हैं ।दोनों पैरों से लाचार विकास कुमार के लिए सफल होना इतना आसान नहीं था पर बचपन से हीं मेहनती विकास ने अपने मेहनत के दम पर शारीरिक अक्ष्मताओ को कभी भी आड़े नहीं आने दिया। पिता उन्हें कंधे पर और साइकिल पर ढो ढो कर हर वो जगह ले गए जहां से उन्हें सरोकार था ,पर उन्होंने भी मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी बचपन से मेहनती विकास ने पहले अपने मेहनत के बल पर आईआईटी धनबाद में पहुंचे ,जहां से डिग्री हासिल कर वे बंगलौर में नौकरी करने लगे पर उनका मन हमेशा लोगों के सेवा के प्रति हीं आकर्षित होता रहा और जब वर्ष 2019 में लाॅकडाउन के बाद वह नौकरी छोड़कर अपने गांव आ गए ,तब उन्होंने मन बना लिया की अब वह ऐसा ही कोई काम करेंगे जिसमें जनता से वह जुड़ सकें। उनकी सेवा कर सके जिसके बाद उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी और पिता सहित तमाम लोग बताते हैं की दिन रात एक कर वह इस काम में जुड़ गए। जहां उनके मित्र अमेरिका जैसे बड़े देशों में रहकर अच्छी खासी पैसे कमाकर अपनी जिंदगी को आसानी से जी रहे थे। वहीं विकास अपने गांव में रहकर सिविल सेवा कि तैयारी कर रहे थे ताकि वही जानता का सेवा कर सके ।इस बीच वे दो बार यूपीएससी मेंस कि परीक्षा और बीपीएससी मेंस कि भी परीक्षा दी, और लगातार प्रयत्न करने लगे पर उन्हें सफलता बीते शाम मिली ,जब वह पटना हाई कोर्ट में असिटेंट सेक्सन ऑफिसर के पद पर चयनित किए गए। उनके इस सफलता से पूरा गांव सहित परिवार के लोग खुश है। और वह भी कह रहें कि मंजिल अभी और भी तय करनी है और अभी जो मिला है उससे काफी संतुष्ट हैं। क्योंकि यहां हम लोगों कि सेवा कर सकते हैं वह लगातार रक्तदाता समूह से भी जुड़े रहें हैं और लगभग 5 दफा से अधिक बार रक्तदान भी कर चुके हैं । इस सफलता के श्रेय अपने पिता राम उदय शर्मा, माता शुनिल देवी सहित परिवार के अन्य सदस्यों और दोस्तों और गांव के लोगों को भी देना चाहते हैं ,जो हमेशा उन्हे इस कार्य के लिए प्रेरित करते रहे।