बिक्कु कुमार
पटना 10 मार्च 2024 को आयाम: साहित्य का स्त्री स्वर द्वारा पद्मश्री उषाकिरण खान की स्मृति में अनुग्रह नारायण कॉलेज के सभागार में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों के रूप वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कमल जी, पूर्व राज्य मंत्री श्री संजय पासवान जी, मगध विश्वविद्यालय के कुलपति श्री एस पी शाही जी, खादी मॉल के निदेशक श्री दिलीप कुमार जी, अनुग्रह नारायण कॉलेज के प्राचार्य श्री प्रवीन कुमार जी, वरिष्ठ कवि आलोक धन्वा जी, श्री शिव दयाल जी एवं भगवती प्रसाद द्विवेदी जी, कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्राचार्य इंद्रजीत जी थे। इसके साथ ही पद्मश्री उषा किरण खान के परिवार से उनकी बड़ी पुत्री अनुराधा शंकर एवं तनुजा शंकर, पुत्र तुहिन शंकर एवं पुत्रवधु पूर्वा शंकर सहित साहित्य जगत के सभी प्रतिष्ठित साहित्यकारों एवं आयाम के सभी सदस्यों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। बता दें कि कार्यक्रम की शुरुआत उषा जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पण के साथ हुई। तत्पश्चात आयाम की मुख्य सचिव वीणा अमृत ने कार्यक्रम के विधिवत प्रारंभ की घोषणा की। जिस क्रम में सबसे पहले पूनम सिन्हा ने उषा जी द्वारा लिखित गीत “लौट आओ जानकी ” गा कर श्रद्धांजलि दी। सभी मंचासीन अतिथियों ने अपने वक्तव्यों के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। वही आयाम के सदस्यों में शांति शर्मा, शाइस्ता अंजुम, रंजीता तिवारी, अर्चना त्रिपाठी, सुनीता गुप्ता, ज्योति स्पर्श, आभा रानी, उत्तरा ने अपने हृदय के उद्गार व्यक्त किये। वहीं मंच का संचालन डॉ रानी श्रीवास्तव ने किया। अरुण कमल जी ने कहा कि उषा जी पटना की आत्मा थी। कुलपति श्री एस पी शाही जी ने कहा कि हज़ारों लाखों में एक उषा किरण खान पैदा होती हैं। उन्होंने कहा कि वो ज्ञानपीठ पुरस्कार की हक़दार थी और उन्हें यह पुरस्कार ज़रूर मिलना चाहिए। श्री शिवदयाल जी ने बताया कि उन्होंने अपने बाल पत्रिका के संपादन का पूरा एक अंक पद्मश्री डॉ उषा किरण खान को समर्पित किया है। वहीं पूर्व राज्य मंत्री श्री संजय पासवान जी ने उषा जी की स्मृति में बिहार में दो तीन दिवसीय लिट फेस्ट आयोजित करने की बात की। उन्होंने कहा कि इसमें उनका पूरा प्रयास और सहयोग रहेगा। खादी मॉल के निदेशक श्री दिलीप कुमार जी ने उषा जी द्वारा स्थापित संस्था आयाम की प्रशंसा की। भगवती प्रसाद द्विवेदी जी ने उनके कृतित्व पर प्रकाश डाला। मुकेश प्रत्युष् जी ने भी उषा जी के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे अपने लिखे हुए शब्दों के प्रति बहुत ईमानदार थी। कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्राचार्य इंद्रजीत जी ने भी अपने शब्दों से श्रद्धांजलि दी। आयाम की वरिष्ठ सदस्या डॉ शांति शर्मा ने कहा कि ” शांति बहन कहने वाली मेरी बहन और सखी कहीं नहीं जा सकती, क्योंकि विचार कभी मरा नहीं करते और वो एक विचार हैं। उनके लिए दो शब्द कहूंगी :
गंध बनकर हवा में बिखर जाओ तुम,
ओस बनकर पंखुड़ियों से झड़ जाओ तुम,
अगर बाग में न दिखो भी तो क्या
मेरे गुलशन को खुशबू से झड़ जाओ तुम”