
जहानाबाद (बिहार) से ब्यूरो चीफ मनोहर सिंह का रिपोर्ट।
जहानाबाद -नागरिक विकास मंच के तत्वावधान में गुरुवार को यहां पाक्षिक काव्य गोष्ठी में को-ऑपरेटिव बैंक परिसर में पाक्षिक काव्य गोष्ठी का आयोजन कर कवियों ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियों से लोकतंत्र के महापर्व यानी चुनाव की महिमा को जीवंत करने की भरसक कोशिश की। स्थानीय कवियों ने अपनी एक से बढ़कर एक सारगर्भित प्रस्तुतियों से मौके पर उपस्थित श्रोताओं को लोकतंत्र की मजबूती के लिए मतदान की जरूरतों पर प्रकाश डाला तथा अपनी सुरीली आवाज की जादू से लोगों को निश्चित रूप से वोट डालने को प्रेरित किया। आम लोगों को कविता के माध्यम से चुनाव के महत्व से अवगत कराते हुए उनके मार्गदर्शन की कोशिश की। कवियों ने चुनाव में मतदान की महिमा व स्थानीय लोककला को समन्वित कर कविता के माध्यम से जीवंतता प्रदान करने की कोशिश की। कवियों ने लोकतंत्र के विकास में वोटरों को जागरूक होने पर बल देने के लिए कई प्रेरक गीत से माहौल को स्पंदित कर दिया। लोगों ने बेहतरीन प्रस्तुतियों पर तालियां बजाकर कवियों का उत्साहवर्द्धन किया। कार्यक्रम का संचालन हमेशा की तरह संतोष श्रीवास्तव ने किया। मंच के उपाध्यक्ष डा अरविंद चौधरी के अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में  किया गया । मौके पर उपस्थित कई प्रमुख लोगों ने कहा कि कविता का समाज को सही राह दिखाने का एक अद्भूत व प्रभावी जरिया है। काव्य के शब्दों में प्रेरणा की शक्ति लोगों को उर्जान्वित करने का एक शानदार जरिया है। लोगों ने पाक्षिक काव्य गोष्ठी के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इससे साहित्यिक धरोहरों का संरक्षित रख समाज काे साहित्यिक व सांस्कृतिक रूप से उन्नयन व समृद्ध करने के अलावा समाज को महत्वपूर्ण मसले पर जागरूक करने में भी सहुलियत होती है। 

कई कवियों ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति से लोकतांत्रिक भावना को बलबती करने वाले कई कविताओं का पाठ कर लोगों को लोकतंत्र की रसधार में डूबोने की भरसक कोशिश किया। कार्यक्रम का लाईव प्रसारण भी किया गया। काव्य गोष्ठी में उपस्थित प्रमुख लोगों में अवकाश प्राप्त शिक्षक एवम मगही साहित्यकार दीपक जी , शब्दाक्षर के जिलाध्यक्ष सावित्री सुमन , गया जिला स्कुल के पूर्व प्राचार्य डा रंगनाथ शर्मा , डा अनवर, डा एकता , अजय विश्वकर्मा, कवि चितरंजन चैनपुरा, मगही विकास मंच के सचिव अरविंद कुमार आंजाश , वयोवृद्ध समाजिक कार्यकर्ता सुदामा मंडल व सुनील कुमार श्रीवास्तव विशेष रूप से उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन कवि गौतम परासर ने किया।

