
सहरसा
शंकर चौक स्थित श्रीराम जानकी ठाकुरबाड़ी में चल रहे 11 दिवसीय गणेश महोत्सव का नवां दिन रविवार को धार्मिक आस्था और भक्ति का अनुपम उत्सव बन गया। इस दिन भगवान गणेश को छप्पन भोग अर्पित किया गया। संध्या बेला में हुई महाआरती, गूंजते भजन-कीर्तन और भक्तों की उमड़ी भीड़ ने पूरे वातावरण को अलौकिक बना दिया।
परंपरा और महत्व : क्यों लगाया जाता है छप्पन भोग
सनातनी परंपरा में छप्पन भोग का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाने के दौरान लगातार सात दिनों तक कुछ भी आहार ग्रहण नहीं किया था। जब संकट टल गया, तब ग्वाल-बाल और गोपियों ने प्रसन्नता स्वरूप उन्हें छप्पन प्रकार के व्यंजन अर्पित किए। तभी से छप्पन भोग की परंपरा चली आ रही है।
गणेश महोत्सव में भी भगवान गणेश को छप्पन भोग अर्पित कर भक्त यह कामना करते हैं कि विघ्नहर्ता सबके जीवन से दुख, क्लेश और विघ्नों को दूर करें तथा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।

सुबह से ही तैयारी में जुटे रहे गणेश सेवा मंडल के सदस्य
रविवार की भोर से ही गणेश सेवा मंडल के सदस्य और समिति के कार्यकर्ता छप्पन भोग की तैयारी में जुट गए। कोई रसोई व्यवस्था संभाल रहा था तो कोई प्रसाद के लिए सामग्री जुटा रहा था। महिलाएँ और युवा मिलकर पकवान तैयार करने में लगे रहे।सुबह की नियमित पूजा-अर्चना के उपरांत विशेष व्यंजनों को सजाने का सिलसिला शुरू हुआ। कारीगरनुमा हाथों से थालों को सजाया गया। भोग के थालों में विविध मिठाइयों, पकवानों, फलों और मेवों को कलात्मक ढंग से सजाकर भगवान के समक्ष अर्पित किया गया।
छप्पन प्रकार के व्यंजन : मिठाइयों और पकवानों की लंबी सूची
इस विशेष अवसर पर भगवान गणेश को लड्डू, मोतीचूर, मोतीपाक, पेड़ा, बर्फी, काजू कतली, काजू रोल, बेलग्रामी, लालमोहन, बालूशाही, गोंद के लड्डू, छेना से बनी विभिन्न मिठाइयाँ, गुजिया, मिल्क केक, क्रीम केक, बत्तीसा, हलुआ और खीर का भोग लगाया गया।
इसके अतिरिक्त मौसमी फलों जैसे केला, सेब, अंगूर, अनार, अमरूद, नारियल और खरबूजा भी अर्पित किए गए। बादाम, काजू, पिस्ता, अखरोट और किशमिश जैसे मेवों ने भोग को और भी आकर्षक बना दिया।
छप्पन भोग का यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए अद्भुत अनुभव था। भक्त जब मंदिर में प्रवेश कर भगवान के सामने सजे भोग को देखते, तो उनके चेहरे पर असीम आनंद झलक उठता।

फूलों से सज्जित प्रतिमा और पंडाल
मंदिर प्रांगण और गणेश प्रतिमा को इस अवसर पर विशेष रूप से सजाया गया। गेंदे की पीली माला, गुलाब की लाल पंखुड़ियाँ, रजनीगंधा की सफेद कलियाँ और बेला की सुगंधित मालाओं ने पूरे परिसर को अलौकिक बना दिया।
प्रतिमा पर रंग-बिरंगे फूलों की झालरें लटकाई गईं। छत से झूलते पुष्पहार और दीयों की रौशनी से सज्जित पंडाल का सौंदर्य देखते ही बनता था। श्रद्धालु लगातार प्रतिमा और मंदिर की सजावट को निहारते और मोबाइल कैमरे में कैद करते रहे।
अपार भीड़ और सुव्यवस्थित व्यवस्था
छप्पन भोग के अवसर पर ठाकुरबाड़ी मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाएँ, बच्चे, बुजुर्ग सभी श्रद्धा और आस्था से परिपूर्ण होकर पूजा-अर्चना के लिए पहुँचे।
गणेश सेवा मंडल और ठाकुरबाड़ी समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की थी। लोगों को क्रमवार मंदिर में प्रवेश कराया जा रहा था ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। प्रसाद वितरण के लिए अलग व्यवस्था की गई थी।
संध्या महाआरती : गूंज उठा ‘गणपति बप्पा मोरया’
संध्या के समय जब महाआरती आरंभ हुई तो पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। नगाड़ों की थाप, शंखनाद और घंटे-घड़ियाल की ध्वनि से मंदिर परिसर गुंजायमान हो गया।
सैकड़ों श्रद्धालुओं ने एक स्वर में ‘गणपति बप्पा मोरया’ और ‘मंगल मूर्ति मोरया’ का जयघोष किया। भक्तों के चेहरे पर भक्ति और आनंद की झलक साफ दिखाई दे रही थी।

महाप्रसाद का वितरण
महाआरती के उपरांत भगवान को अर्पित छप्पन भोग को महाप्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया गया। लोग श्रद्धा भाव से प्रसाद ग्रहण करते रहे।
भक्तों का मानना है कि गणपति बप्पा का प्रसाद ग्रहण करने से जीवन में सुख-समृद्धि और मंगलकारी ऊर्जा का संचार होता है।
आयोजन की सफलता में रहा युवाओं और महिलाओं का योगदान
आयोजन की सफलता में स्थानीय युवाओं और महिलाओं का सक्रिय योगदान रहा। रंजीत दास, इंद्र भूषण केशरी, अभिषेक गाड़ा, संजय साह मोती पंजियार, प्रेम पंजियार, मुकुल सिंह , उमाशंकर गुप्ता, विनय गुप्ता, सिट्टू गाडा, रमाशंकर भगत, अमरेंद्र तिवारी, कुंदन कुमार, मनोज यादव, अशोक पंजियार, अमन कुमार बिट्टू, शक्ति गुप्ता, धीरज गुप्ता, आशु संघाई, नीरज गुप्ता, किशोर कुमार, विमल भगत, कन्हैया, पवन गुप्ता, रवी गुप्ता, रोहन गुप्ता, साहिल गुप्ता, मौसम, ऋषभ केशरी, अंशुमन, अनिकेत, राजपूत प्रिंस साह, बिट्टू चौधरी, अभिराज, संदीप, शिवम केशरी, उत्तम पंजीयार, रमन केशरी, श्वेता,रिचा कुमारी, कशक गुप्ता, पूजा, नेहा, सासा कुमारी, कोमल कुमारी, माही आर्य, चंचल, आँचल, राधा, सुमन, राज, वर्षा, खुशी, मित्ती, सुप्रिया सहित सैकड़ों लोग सेवा में जुटे रहे।
इन सभी ने मिलकर श्रद्धालुओं की सेवा, व्यवस्था और आयोजन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आज को होगा डांडिया का विशेष आयोजन
गणेश सेवा मंडल के सदस्यों ने बताया कि आगामी शुक्रवार को पूजा और महाआरती के पश्चात डांडिया का विशेष आयोजन किया जाएगा। इसके लिए मंडल ने तैयारी शुरू कर दी है। स्थानीय नागरिकों और श्रद्धालुओं में इसे लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है।
समाज और संस्कृति का संगम
गणेश महोत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि यह समाज को एक सूत्र में बांधने का पर्व भी है। इस आयोजन में बच्चे, युवा, महिलाएँ और बुजुर्ग सभी वर्गों की भागीदारी रही।
मंदिर परिसर में सेवा कार्य से लेकर प्रसाद वितरण तक हर जगह सहयोग की भावना दिखी। यही सामूहिकता गणेश महोत्सव की असली पहचान है।
श्रद्धालुओं की भावनाएँ
आयोजन में शामिल श्रद्धालुओं ने कहा कि छप्पन भोग का यह अद्भुत दृश्य जीवनभर याद रहेगा।
कई भक्तों ने बताया कि उन्होंने पहली बार इतने भव्य स्तर पर भोग अर्पण और महाआरती देखी। उनका कहना था कि ऐसे आयोजन से मन और आत्मा को शांति मिलती है तथा सामाजिक एकता भी प्रगाढ़ होती है।