वंशी.आजकल हमारे समाज में पढ़ाई-लिखाई के बावजूद रोजगार की चुनौतियां आम होती जा रही हैं. ऐसे में कुछ लोग पुरानी धारणाओं को तोड़ते हुए नए रास्ते अपना रहे हैं.इन्हीं में से एक अनोखी पहचान है “Graduate टेंपो वाला”.
यह नाम सुनने में भले ही थोड़ा असामान्य लगे, लेकिन यह संघर्ष, आत्मनिर्भरता और साहस का प्रतीक है.
“Graduate टेंपो वाला” उन युवाओं को प्रेरित करते है, जिन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की है, लेकिन परंपरागत नौकरियों की कमी या अवसर न मिलने के कारण उन्होंने स्वरोजगार को अपनाया. समाज में यह धारणा आम है कि ग्रेजुएट युवाओं को “सफेद कॉलर” नौकरियों में होना चाहिए, लेकिन जब हालात विपरीत हों, तो ये युवा टेंपो चलाने या अन्य छोटे व्यवसायों में हाथ आजमाने से पीछे नहीं हटते.
स्वाभिमान की नई परिभाषा
एक ग्रेजुएट टेंपो वाला (मनोज पटेल) यह साबित करते है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. मेहनत और ईमानदारी से किया गया हर काम सम्मानजनक है.जहां कई लोग बेरोजगारी का बहाना बनाकर खाली बैठते हैं, वहीं ये मनोज भाई अपने दम पर आत्मनिर्भर बनने का उदाहरण प्रस्तुत कर रहें हैं.
चुनौतियां और समाज की सोच
हालांकि, ऐसे कदम उठाने वाले युवाओं को कई बार समाज की आलोचना और तानों का सामना करना पड़ता है. “इतनी पढ़ाई करके टेंपो चलाना?” जैसे सवाल उन्हें सुनने को मिलते हैं. लेकिन ये सवाल उनके आत्मविश्वास को कमजोर नहीं कर पाते.वे यह समझते हैं कि आज का दौर आत्मनिर्भर बनने का है, न कि दूसरों की सोच से डरने का.
रोल मॉडल के रूप में
“Graduate टेंपो वाला” (मनोज पटेल)सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है.वह अन्य युवाओं को यह संदेश दे रहें है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान का निर्माण करना है.
आज के दौर में “Graduate टेंपो वाला”(मनोज पटेल) जैसे लोग हमें यह सिखाते हैं कि कोई भी काम छोटा नहीं होता. मेहनत, लगन और सकारात्मक सोच से हर इंसान अपनी पहचान बना सकता है. ऐसे युवाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है ताकि वे समाज के लिए एक नई दिशा और प्रेरणा बन सके. ये अपने टेम्पू पर बोर्ड लगा रखा है ग्रेजुएट टेम्पू वाला.