रामपुर मनिहारान
यूनाइटिड मुस्लिम ऑफ इंडिया उर्दू डवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन की ओर से अंतरराष्ट्रीय उर्दू दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में डॉ मुस्तमिर को शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में डॉ मजहरुद्दीन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
रिपोर्ट वैभव गुप्ता।
कस्बे के मौहल्ला इकराम निवासी डॉ. मुहम्मद मुस्तमिर को शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय उर्दू दिवस के अवसर पर मजहरूद्दीन खान अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार समारोह यूनाइटेड मुस्लिम ऑफ़ इंडिया उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से आयोजित किया गया। यूनाइटेड मुस्लिम ऑफ़ इंडिया उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन पिछले 27 वर्षों से अल्लामा इकबाल के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय उर्दू दिवस का आयोजन करती है। यह ऑर्गेनाइजेशन दुनिया भर से उर्दू साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पुरस्कार प्रदान करती है। उर्दू दिवस के अवसर पर यह कार्यक्रम गालिब अकैडमी नई दिल्ली में आयोजित किया गया जिसमें डॉ. मुहम्मद मुस्तमिर को मजहरूद्दीन खान अवार्ड से सम्मानित किया गया। बता दें कि डॉ. मुहम्मद मुस्तमिर पिछले लगभग दो दशकों से उर्दू साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। हाल में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज, उर्दू विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर आसीन हैं। इससे पूर्व वे हरियाणा सरकार में भाषा एवं साहित्य विभाग में उर्दू पत्राचार कोर्स के माध्यम से अपनी सेवाएं दे चुके हैं। डॉ. मुहम्मद मुस्तमिर को अब तक सरकारी एवं गैर सरकारी साहित्यिक संस्थाओं से पुरस्कार मिल चुके हैं जिनमें वे विशेष रूप से उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी से तीन बार सम्मानित हो चुके हैं। इसके अलावा ऑलमाइटी इंटरनेशनल सोसायटी मलेरकोटला से आलोचना के क्षेत्र में ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली अवार्ड एवं बुलंदी साहित्यिक सेवा समिति से हिंदी गौरव सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैं। डॉ. मुहम्मद मुस्तमिर न केवल उर्दू साहित्य में अपनी पकड़ रखते हैं बल्कि वे हिंदी साहित्य में भी उतने ही प्रचलित हैं। अब तक इनकी चौदह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें दो पुस्तकें हिंदी भाषा से संबंध रखती है। इसके अलावा वे एक दर्जन पुस्तकें उर्दू भाषा में लिख चुके हैं। डॉ. मुहम्मद मुस्तमिर एक साथ साहित्य की कई विधाओं में निपुण है। वे कवि, आलोचक, कथाकार, गद्यकार और अनुवादक भी हैं। हिंदी काव्य संग्रह में उनकी पुस्तक “चिलमन” को पाठकों ने काफी पसंद किया। इनका अनुवादित उपन्यास “आखिरी अध्याय” को भी आलोचकों ने काफी सराहा। उन्हें पुरस्कार मिलने पर कस्बे सहित क्षेत्र वासियों ने हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें तहेदिल से शुभकामनाएं दी हैं।