– पर्यावरण को स्वच्छ करने के लिए सभी को कराया संकल्पित
मोतिहारी/ राजन द्विवेदी।
ग्रीन ग्रोथ प्रोग्राम के तहत जागरूकता कार्यक्रम को लेकर जलवायु परिवर्तन “खतरा और समाधान” विषयक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन डीएवी स्कूल, नरहा में किया गया।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में सांसद सह पूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह शामिल हुए। श्री सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन न केवल भारत और बिहार, बल्कि पूरे विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है विषय है। हमारे पुराणों में कहा गया है- “क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा- पंच रचित यह अधम शरीरा।” यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश, और वायु, ये पाँच तत्व हमारे शरीर के मूल हैं। लेकिन सोचिए, अगर इन पाँच तत्वों में संतुलन न रहे तो? क्या हम एक स्वस्थ जीवन की कल्पना कर सकते हैं? विश्व के लिए यह चिंता का विषय है कि हाल के वर्षों में, जलवायु में असंतुलन इतनी तीव्रता से बढ़ रहा है कि इसका प्रभाव हमारे चारों और महसूस किया जा रहा है। लांसेट प्लानेटरी हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में वायु प्रदूषण से भारत में लगभग 17 लाख लोगों की मृत्यु हुई। यह केवल वायु प्रदूषण का आंकड़ा है। अगर हम जल प्रदूषण, तापमान वृद्धि और प्राकृतिक संसाधनों की हानि को आंकें तो यह आंकड़े और भी भयावह हो जाते हैं। बताया पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर में गर्मी का स्तर बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से अब तक हर वर्ष पिछले वर्षों से अधिक गर्म साबित हुआ है। साल 2023 में उत्तर भारत के कई हिस्सों में तापमान डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। केरल में कुछ ही महीने पहले रिकॉर्ड तोड़ बाड आई थी, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए। यह बाढ़ अप्रत्याशित बारिश के कारण हुई, जो ग्लोबल वार्मिंग के कारण हो रही है। इस साल के ही आकड़ों पर नज़र डालें तो बिहार में अनियमित वर्षा और अत्यधिक तापमान के कारण मक्का और धान की फसलें खराब हुई हैं, जिसका सीधा असर किसानों की आय पर पड़ा है। यह समय की मांग है कि हम सतत कृषि और जल संरक्षण तकनीकों को अपनाएं।
अगर हम वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखें, तो धरती का बढ़ता तापमान महासागरों को भी गरम कर रहा है. जिसका नतीजा सुनामी, तूफान और चक्रवात के रूप में सामने आ रहा है। 2021 में, समुद्र में बढ़ती गर्मी के कारण रिकॉर्ड संख्या में तूफान दर्ज हुए, जिनसे 10 अरब डॉलर से अधिक की क्षति हुई। इससे समुद्री जीव-जन्तु और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित हो रहे हैं।
बीटा बनबर्ग जैसी पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने एक नई पीढ़ी में जागरूकता फैलाने का कार्य किया है। यह युवा पीढ़ी को प्रेरित कर रही हैं कि जलवायु परिवर्तन का सामना सिर्फ सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है। बल्कि प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी का योगदान महत्वपूर्ण है। आज की आवश्यकता है कि हम अपने रोजमर्रा की आदतों में छोटे-छोटे बदलाव लाएं। जैसे बिजली की बचत, पानी का संरक्षण, और कचरे को सही तरीके से निस्तारण। क्या हम सभी अपने जन्मदिन पर एक पेड़
श्री सिंह ने समाधान पर चर्चा करते हुए कहा कि मैं स्वयं हर साल अपने जन्मदिन पर पेड़ लगाता हूं और बांटता हूं। सोचिए, अगर हम सभी ऐसा करें, तो कितना बड़ा बदलाव संभव है। उन्होंने कहा कि भारत में ही कुछ राज्य पानी के पुनर्चक्रण की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। तमिलनाडु जैसे राज्य ने वर्षा जल संचयन को अनिवार्य कर दिया है। हमें भी इस ओर ध्यान देना चाहिए, और अपने घरों और कार्यालयों में वर्षा जल संचयन प्रणाली को लागू करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह पृथ्वी, यह हवा, यह पानी हम सबका है। यह हमारे पूर्वजों की धरोहर है और हमारी संतानों का भविष्य। अगर हम आज जागरुक नहीं होंगे, तो कल बहुत देर हो जाएगी। आइए, हम सभी मिलकर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कदम उठाएं और इस धरती को बचाने का प्रण लें।