चंपारण की खबर:श्रावण मास इस बार शिवभक्तों के लिए है विशेष शुभकारी : प्राचार्य

Breaking news News धर्म बिहार

– सोमवार से शुरू होकर पांचवें सोमवार को पूर्ण होगा श्रावण 

मोतिहारी / राजन द्विवेदी।
   देववाधिदेव महादेव का सबसे प्रिय सावन का महीना 22 जुलाई सोमवार से प्रारंभ हो रहा है,ई जिसका समापन 19 अगस्त सोमवार को स्नान-दान सहित श्रावणी पूर्णिमा व रक्षाबंधन पर्व के साथ होगा। इस वर्ष भक्तों को महादेव की कृपा पाने व प्रसन्न करने के लिए सावन का महीना पांच सोमवार (सोमवारी) से युक्त होगा। संयोगवश इस बार सावन मास की शुरुआत ही सोमवार से हो रही है तथा श्रावण मास का अंतिम दिन अर्थात् श्रावणी पूर्णिमा भी सोमवार को ही है,जो अत्यंत पुण्यफलदायक है। ऐसे सावन का प्रत्येक सोमवार शिव आराधना के लिए विशेष मंगलकारी होता है।
  यह जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी।
               उन्होंने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास से आरंभ होने वाले वर्ष में पाँचवा महीना श्रावण मास सबसे अधिक शुभकारी और पवित्र महीना माना गया है। श्रावण मास की पूर्णिमा पर आकाश मंडल में श्रवण नक्षत्र अपनी पूर्णता के साथ जगमगाता है इसलिए इस माह को श्रावण मास कहा गया है। इस मास को शिव मास भी कहा जाता है। क्योंकि यह महीना भक्तों के लिए विशेष मुहूर्त्तों से युक्त मंगलकारी काल होता है।
              प्राचार्य पाण्डेय ने बताया कि शिव की तो महिमा ही निराली है। प्रसन्न हुए तो कुबेर को देवताओं का कोषाध्यक्ष बना दिया,अश्विनी कुमारों को आयुर्वेद विद्या सौंप दी,महामृत्युंजय स्वरूप होकर भीषणतम रोग से मुक्ति दे देते हैं। जीवन में श्रेष्ठता शिवत्व के माध्यम से ही प्राप्त हो सकती है इसलिए इस माह में सम्पन्न किए जाने वाले सभी प्रयोग साधना सौभाग्यदायक होते हैं।
             पौराणिक मान्यता के अनुसार मन्दराचल पर्वत को धुरी बनाकर वासुकी नागों से बाँधकर समुद्र मंथन श्रावण मास में ही सम्पन्न किया गया था। ऐसा माना जाता है कि श्रावण में शिव पृथ्वी पर भी विचरण करते हैं,इसलिए इन्हें प्रसन्न करने के लिए सभी शिवालयों या घरों में शिव पूजन व रुद्राभिषेक आदि अनुष्ठान सम्पन्न किए जाते हैं। 
  श्रावण मास में जो श्रद्धालु भगवान शिव का पूजन एवं रुद्राभिषेक आदि अनुष्ठान करते हैं,उनके लिए इस लोक और परलोक में कुछ भी दुर्लभ नहीं। इस मास में जो दान,व्रत,जप,होम आदि किया जाता है,उससे उमा-महेश्वर प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।