जहानाबाद में पुलिस की विश्वसनीयता पर उठ रही है सवाल ।

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आख़िर क्यों नहीं कर रही है महिला के साथ हुई मारपीट का एवं छेड़खानी का मामला दर्ज?

जहानाबाद (बिहार) से ब्यूरो चीफ मनोहर सिंह का रिपोर्ट।

जहानाबाद – जिले के नगर थाना अध्यक्ष की विश्वसनीयता पर सवाल उठ खड़ा हुआ है।एक पिड़ित महिला के साथ मारपीट एवं बेटीयों के साथ हुई छेड़छाड़ जैसे कारनामे पर भी नगर थाना अध्यक्ष द्वारा एक सप्ताह तक प्राथमिकी दर्ज नही करना चिंता का विषय बनते जा रहा है।
यहां यह सवाल उठता है कि आखिर नगर थाना अध्यक्ष द्वारा क्यों नहीं पिड़ित महिला की लिखित आवेदन पर अब तक प्राथमिकी दर्ज की गई? क्या पिड़ित महिला के बेटियों के साथ छेड़खानी जैसे जघन्य मामला होते रहे और पुलिस मुक दर्शक बनी रहे?
यहां यह बात सामने आई है कि नगर थाना क्षेत्र के ऊटा मदारपुर निवासी शीतल देवी पति भोला प्रसाद ने बीते 11/7/24 को प्राथमिकी दर्ज कराने को लेकर नगर थाना में एक लिखित आवेदन दी थी।पर॑तु आज 18/7/24 तक प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाने की बात सामने आई है।
पिड़ित महिला शीतल देवी ने बताई कि बीते 11/70को शाम करीब 06 बजे मोहल्ला के ही गुड्डू साव एवं केस्टो साव सहित उसके परिवार के अन्य सदस्यों ने हाथ में लाठी डंडे लेकर गाली गलौज मेरे दरवाजे के बाहर कर रहा था कि मेरा बेटा रौशन तथा बेटी तुननू कुमारी टियूसन से लौट घर पहुंची तो उनलोगो मेरे बेटा तथा बेटी के साथ मारपीट करने लगा।ह॑गामा का शोर सुनकर जब मैं अपना दरवाजा खोला तो तो गुड्डू सहित सभी लोग मेरे घर में घुसकर मारपीट करने लगा। वही मेरे दो बड़ी बेटी के साथ अभद्रता पूर्ण व्यवहार करने लगा जब मैं मना किया तो हाथ में लिए लोहे की रॉड मेरे सास पर चला दिया जिससे मेरी सास की हाथ भी टुट गया। एवं मुझे भी माथा फट गया। तथा मेरे गले से म॑गलसूत्र भी छिन कर,जाते जाते जान से मारने की धमकीं दी। वही उसने बताई कि मैं जहानाबाद नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज करने हेतु लिखित आवेदन दी हूं,पर॑तु अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं किया गया है। उसने पुलिस पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कही की पुलिस अभियूक्त से मिली हुई है। तथा मुझे डर है कि हो सकता है कि उन लोगों द्वारा मेरी बेटी के साथ कुछ गलत न कर बैठे। वही महिला ने बताई कि पुलिस अधीक्षक के पास भी लिखीत आवेदन दी हूं,पर॑तु अभी तक कोई कार्रवाई न होने पर चिंता व्यक्त किया है।
मामला चाहे जो कुछ भी हो लेकिन पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी प्रतित होता है। आख़िर क्यों नहीं एक सप्ताह समय बीतने के बावजूद भी प्राथमिकी दर्ज की गई?