कथा वाचक रविंद्राचार्य जी ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह के वृतांत उत्साह पूर्वक सुना। श्रीकृष्ण-रुक्मणि के स्वरूप बाल कलाकारों पर श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

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रिपोर्ट वैभव गुप्ता।

शनिवार को देवबंद रोड़ स्थित श्री बालाजी धाम में आयोजित श्रीमद् भागवत के दौरान कथा वाचक रविंद्राचार्य जी महाराज ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया। कथा वाचक ने कहा जहां देने से ही देने की भावनाएं वहां प्रेम है। कथा में रुक्मणी विवाह का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें वैदिक विधि विधान से विवाह उत्सव मनाया गया। श्रद्धालुओं ने विवाह उत्सव में भक्ति में गीत गाकर नृत्य प्रस्तुत कर उत्सव मनाया। श्रद्धालुओं ने कन्यादान किया। मुख्य यजमान डॉ जितेन्द्र कुमार रहे। इससे पूर्व कथा का उदघाटन चौधरी अमर दीप पंवार ने किया। इस दौरान श्रीभगवान अग्रवाल, पंडित अंकित शर्मा, मनोज शर्मा, दिनेश सैनी, अंकुर मित्तल, भीमसेन आदि सहित महिला श्रद्धालुओं का सहयोग रहा।