मनोज कुमार का जन्मदिन विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में छात्रों के साथ मनाया गया।

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लनामिविवि दरभंगा…

शोधकर्ताओं के साथ मिलकर शोधार्थियों को मनोबल बढ़ाने में हमेशा मददगार हैं- शोधार्थी रिक्की। छात्रों, शोधार्थियों को लेखन के माध्यम से भविष्य में आपके द्वारा निरंतर गुणवत्ता बढा़ने पर जोर देने की आवश्यकता है- शोधार्थी अनिमेष।सैकड़ों जनरल में प्रकाशित लेख, दर्जनों शोधपत्र, हमारे आदरणीय गुरु के मनोज सर को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जी हाँ यकीनन आज एक ऐसे आचार्य का जन्मदिन है जो किसी परिचय के मोहताज नहीं है, जो अत्यंत मृदुभाषी, अनुशासित, कर्मठ, एकात्मबोधी आचरण व व्यवहार के संवाहक, संचार तकनीकी एवं चुनावी राजनीति के मर्मज्ञ, सर्व समावेशी दर्शन के आधार स्तंभ, राष्ट्रीयत्व ऊर्जावान व्यक्तित्व, युवाओं के प्रेरणा स्रोत एवं कर्मशीलनता की प्रज्ञा देने वाले जो कुशल वक्ता, प्रशासनिक गुणों से परिपूर्ण, बेहतरीन शिक्षक जो ज्ञान के पूंज हैं। जिनका जन्मभूमि संतों और तपस्वियों की तपस्थली उत्तर प्रदेश का बाराबंकी जिला और कर्मभूमि दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह का दरभंगा जिला है, जिनके बेहतर कार्यशैली का परिणाम है कि पिछले कुछ वर्षों से लगातार मिथिला विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक (तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा) के पद पर काबिज हैं, जिनकी कोशिश रहती है कि विद्यार्थियों का समस्या सिंगल टेबल के माध्यम से खत्म हो जाय, जो छात्र-छात्राओं व शोधार्थियों के वर्ग संचालन व शोध कार्य के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहते हैं। वो कोई और नहीं मिथिला विश्वविद्यालय का उदयगामी भास्कर डॉ. मनोज कुमार हैं।

डॉ. मनोज कुमार का जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में 2 मार्च 1988 को हुआ था। बाल्यकाल व स्कूली शिक्षा ग्रामीण परिवेश में ही बीता। डॉ. कुमार बचपन से ही पढ़ने में काफी मेधावी थे। उनके कुशाग्र बुद्धि को उनके शिक्षक बचपन में ही पहचान लिये थे और उस अनुरूप उन्हें तराशना शुरू कर दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि मैट्रिक व इंटर में अव्वल नम्बरों से पास करने के बाद उनके पिताजी ने उन्हें ग्रामीण परिवेश से दूर अच्छे विश्वविद्यालय में भेजने का मन बनाया। वो इसमें भी पिता के उम्मीदों पर खरे उतरे और लखनऊ विश्वविद्यालय में स्नातक में दाखिला मिल गया। लखनऊ विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, बनारस में स्नातकोत्तर के लिये प्रवेश परीक्षा दिया, जिसमें उन्हें सफलता मिली और विशिष्टता के साथ प्रथम श्रेणी में वो 2011 में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त किया। इसी दौरान उन्हें राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में जूनियर रिसर्च फैलोशिप(जेआरएफ) में सफलता मिल गयी और वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. की उपाधि 2019 में प्राप्त की। तदोपरांत 18 जून 2019 से 30 सितंबर 2019 तक वो जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के जय प्रकाश महिला महाविद्यालय, छपरा में अतिथि शिक्षक के रूप में अपना पहला योगदान दिया। बिहार लोक सेवा आयोग के असिस्टेंट प्रोफेसर 2014 के विज्ञापन के आलोक में उनके प्रतिभा को नव आयाम मिला और उन्हें आयोग के द्वारा राजनीति विज्ञान विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर के लिये मिथिला विश्वविद्यालय आवंटित हुआ और 1 अक्टूबर 2019 को वे मिथिला विश्वविद्यालय के गणेश दत्त महाविद्यालय, बेगूसराय में बतौर सहायक प्राध्यापक योगदान किया। गणेश दत्त महाविद्यालय, बेगूसराय में उनके बेहतर शैक्षणिक कार्य को देखते हुए उन्हें विश्वविद्यालय में उप-परीक्षा नियंत्रक (तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा) का 26 नवंबर 2022 को कमान मिला जिसे वो बखूभी आजतक निभाते आ रहे हैं।

इसी दौरान उनका तबादला विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग में 1 मार्च 2023 को हुआ जहाँ वो अपने अध्ययन-अध्यापन का कर्तव्य भी विश्वविद्यालय में मिले दायित्वों के साथ-साथ बखूभी निभा रहे हैं। इस दौरान दर्जनों राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार, सिंपोजियम व कार्यशाला आदि में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भाग लिया है। साथ ही दर्जनों आलेख राष्ट्रीय स्तर पर यूजीसी केयर लिस्ट सहित कई प्रतिष्ठित जर्नलों में प्रकाशित हुआ है जो कि सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि हमारे विश्वविद्यालय की उपलब्धि में भी चार चांद लगा रहा है। मानक पुस्तक लेखन की दिशा में भी वो कदम बढ़ा चुके हैं। उनका अद्यतन पुस्तक बीते 2022 में पेसिफिक बुक्स इंटरनेशनल प्रकाशन, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली से उनका पुस्तक “भारतीय राजनीति में चुनाव के बदलते आयाम” का प्रकाशन हुआ है जिसका विमोचन मिथिला विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने किया। इससे पहले भी लगभग आधा दर्जन पुस्तकों में वो चैप्टर लिख चुके हैं। जिसे पाठकों ने काफी सराहा है जो कि अमेजन पर उपलब्ध है।
बीपीएससी 2014 बैच ने मिथिला विश्वविद्यालय को एक से एक नवरत्न व ज्ञान पूंज शिक्षक दिया है जिसमें डॉ. कुमार का नाम भी शुमार है। डॉ. कुमार सरीखे शिक्षकों व प्रशासन की “ए ग्रेड” नौकरी छोड़कर आये कई शिक्षकों को जब जहाँ जिस पद पर विश्वविद्यालय में मौका मिला है उन्होंने अपने प्रतिभाओं, क्षमताओं व ज्ञानों से सदैव मिथिला विश्वविद्यालय को न केवल गौरवान्वित करने का काम किया है बल्कि बीते कुछ सालों में यूजीसी नेट व जेआरएफ में विश्वविद्यालय व विभिन्न महाविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभागों से छात्र-छात्राओं को तराशकर दर्जनों यूजीसी नेट व जेआरएफ देने का काम किया है। आज मिथिला विश्वविद्यालय का शायद ही कोई ऐसा विभाग हो जहाँ जाने पर आपको दो-चार नेट- जेआरएफ न मिल जाएं और नेट का कहना ही क्या।
वहीं मौके पर उपस्थिति यशस्वी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मुनेश्वर यादव, डॉ मुकुल बिहारी वर्मा, शिक्षक रघुवीर कुमार रंजन, शोधार्थी रामकृपाल, प्रभु सहित दर्जनों छात्रों ने जन्मदिन की शुभकामनाएँ व बधाई दी।
हर दीन-दुखी छात्रों में तरंग आपको भरनी है।
हर आशा-हीन छात्रों में उमंग आपको भरनी है।।
संघर्ष-मार्गदर्शन तो हर युग की अटल जरूरत है।
बनके आचार्य द्रोण-चाणक्य हर छात्र-छात्राओं व शोधार्थियों को विकसित भारत @2047 के नवनिर्माण में तैयार आपको करनी है।