
भारत बंद : बुधवार को बड़े पैमाने पर भारत बंद की तैयारी है। अनुमान है कि बैंकिंग, बीमा, डाक सेवाओं समेत विभिन्न क्षेत्रों के 25 करोड़ से ज़्यादा कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हो सकते हैं। इस हड़ताल का आह्वान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने किया है और इसे भारत बंद नाम दिया गया है।
जुलाई को देशभर में भारत बंद का ऐलान किया गया है। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की अगुवाई में हो रहे इस बंद में बैंक, बीमा, डाक, कोयला खदान, हाईवे और कंस्ट्रक्शन समेत करीब 25 करोड़ कर्मचारी शामिल होंगे। यूनियनों का आरोप है कि सरकार की नीतियां मजदूरों और किसानों के खिलाफ हैं और केवल कंपनियों को फायदा पहुंचा रही हैं। यही वजह है कि ग्रामीण भारत से भी किसान और खेतिहर मजदूर इस हड़ताल में शामिल हो रहे हैं।
इन ट्रेड यूनियनों ने दिया समर्थन
भारत बंद में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), हिंद मजदूर सभा (HMS), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU), और अन्य राष्ट्रीय संगठनों का समर्थन है। यूनियन नेताओं का कहना है कि निजीकरण और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ ये लड़ाई जरूरी है।
भारत बंद : क्या-क्या होगा प्रभावित?
इस हड़ताल (Bharat Bandh) का असर बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, डाक विभाग, कोयला खनन, कारखानों और राज्य परिवहन सेवाओं पर पड़ सकता है। हालांकि स्कूल, कॉलेज और प्राइवेट ऑफिस खुले रहेंगे, लेकिन ट्रांसपोर्ट सेवाओं पर असर की आशंका है। कई शहरों में विरोध मार्च और सड़कों पर प्रदर्शन के चलते बस, टैक्सी और कैब सेवाएं बाधित हो सकती हैं।
बैंकिंग सेवाएं रहेंगी प्रभावित
पब्लिक सेक्टर बैंकों और सहकारी बैंकों के कर्मचारी भी हड़ताल (Bharat Bandh) में शामिल होंगे। इससे बैंकिंग ब्रांच सेवाएं, चेक क्लीयरेंस और ग्राहक सहायता प्रभावित हो सकती है। हालांकि, अभी तक पूरी तरह से बैंक बंद रहने की पुष्टि नहीं हुई है।
रेल सेवाएं रहेंगी सामान्य, लेकिन हो सकती है देरी
रेलवे यूनियनों ने औपचारिक रूप से बंद में शामिल होने का ऐलान नहीं किया है, लेकिन सड़क जाम और प्रदर्शन (Bharat Bandh) के चलते कुछ जगहों पर ट्रेन सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।
भारत बंद : हड़ताल क्यों हो रही है?
ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि सरकार लगातार (Bharat Bandh) उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है। पिछले साल सौंपे गए 17 सूत्रीय चार्टर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनका आरोप है कि सरकार—
श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूरों के अधिकार छीन रही है।
संविदा नौकरी और निजीकरण को बढ़ावा दे रही है।
बेरोजगारी के मसले पर गंभीर नहीं है।
सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों और वेतन वृद्धि पर चुप है।
किसानों और ग्रामीण मजदूरों का भी समर्थन
संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि मजदूर संगठन (Bharat Bandh) भी इस बंद में शामिल होंगे। इनका आरोप है कि सरकारी नीतियों के चलते ग्रामीण अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है, महंगाई बढ़ रही है और रोजगार के अवसर खत्म हो रहे हैं।