मोतिहारी/ राजन द्विवेदी।
जीवत्पुत्रिका (जीउतिया) व्रत के सन्दर्भ में असमंजस को दूर करते हुए निर्णायक ग्रंथ,व्रत कथा एवं विभिन्न पंचांगों के मतानुसार महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने बताया कि व्रत का नहाय-खाय 24 सितम्बर मंगलवार को तथा जीवत्पुत्रिका व्रत 25 सितम्बर बुधवार को शास्त्र सम्मत है। वही व्रत का पारण 26 सितम्बर गुरुवार को प्रातःकाल सूर्योदय 06:02 बजे के बाद किया जाएगा।
उन्होंने व्रत के निर्णय पर निर्णायक ग्रंथों का दृष्टांत देते हुए बताया कि –
आश्विने बहुले पक्षे याष्टमी भास्करोदये।
स्वल्पापि चेत् तदा कार्या सास्मृता जीवत्पुत्रिका। ।
उदये चाष्टमी किंचित् सकला नवमी भवेत्।
सैवोपोष्या वरस्त्रीभिः पूजयेत् जीवत्पुत्रिकाम्।।
अर्थात् आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि में सूर्योदय हो उसी में जीवत्पुत्रिका व्रत करना चाहिए। सूर्योदय काल में किंचित् मात्र भी अष्टमी हो,भले उसके बाद पूर्ण नवमी हो तो अष्टमी युक्त नवमी में ही जीवत्पुत्रिका व्रत करने का विधान है।
जीवत्पुत्रिका व्रत की कथा के अनुसार जिस तरह दशमी से युक्त एकादशी त्याज्य है,उसी तरह सप्तमी से युक्त अष्टमी जीवत्पुत्रिका व्रत में त्याज्य है। अतः श्रद्धालु व्रतियों को चाहिए कि किसी भी प्रकार के भ्रम में न पड़ते हुए अपने पुत्र की दीर्घायुष्य की कामना से 24 सितम्बर मंगलवार को नहाय-खाय तथा 25 सितम्बर बुधवार को जीवत्पुत्रिका व्रत करें,वही अगले दिन अर्थात् 26 सितम्बर गुरुवार को सूर्योदय अर्थात् प्रातः 06:02 बजे के उपरान्त पारण करें।