चुनाव की घोषणा होते ही गांव के पगडंडियों पर दौड़ने लगी लग्जरी गाड़ियां।

बिहार

पाँच साल बाद नेताजी को आने लगी जनता की याद। नेताजी से क्षेत्र की जनता मांग रहे हैं पाँच साल का हिसाब।

कुर्था (अरवल) लोकसभा चुनाव के आगाज होते ही अब गांव की पगडंडियों पर भी दिखने लगी है, लग्जरी गाड़ियां कभी नेताजी चुनाव जीतने के बाद दिल्ली अपने सरकारी बंगले पर एसो आराम किया करते थे। उन्हें भी अब पाँच साल के बाद क्षेत्र की जनता का याद सताने लगा है, शादी विवाह से लेकर दुख दर्द में भी अब नेताजी शामिल होने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं ऐसे तो नेताजी चुनाव जीतने के बाद पाँच साल दिल्ली के सरकारी बंगले में खूब आराम किये। लेकिन जैसे ही चुनाव की रणभेरी बाजी तब उन्हें क्षेत्र की जनता का याद सताने लगा है हालांकि ऐसे में जनता भी नेताजी के पिछले पाँच वर्षों के किए गए कार्यों का हिसाब मांग रहे हैं कही क्षेत्र में नेताजी के आबभगत किया जा रहा है तो कहीं उनका जमकर विरोध हो रहा है लेकिन नेताजी क्षेत्र की जनता को तरह-तरह की बातें बताकर उन्हें विकास कार्यों का पूरा विवरण बता रहे हैं लेकिन क्षेत्र की जनता उन्हें पाँच वर्षों के कार्यकाल में विकास करना तो दूर क्षेत्र के लोगों से मिलना भी मुनासिब नहीं समझते रहे थे। इस तरह की बातें क्षेत्र की जनता नेताजी से कहते देखे जा रहे हैं हालांकि कई जगहों पर तो नेताजी का विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है जब क्षेत्र की जनता नेता जी के सामने विरोध कर रहे हैं तो नेताजी हंसकर मामले को टालते दिख रहे हैं वहीं नेताजी के समर्थक नेता जी द्वारा किए गए विकास कार्यों का लंबी लिस्ट दिखाने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं आखिर मामला चाहे जो हो लेकिन जैसे ही लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजी गांव के पगडंडियों पर भी अब लग्जरी गाड़ियां दिखने लगी है जैसे ही गांव में कोई लग्जरी गाड़ी घुस रही है तो गांव के लोग यह समझ जाते हैं कि नेता जी अब गांव में वोट मांगने आ रहे हैं और फिर लग्जरी गाड़ी पर भीड़ इकट्ठा हो जा रही है जहां कोई नेताजी का समर्थन करता दिख रहा है तो कोई नेता जी का विरोध करते नहीं थक रहा है कुल मिलाकर कहा जाए तो क्षेत्र की जनता नेताजी से पाँच वर्षों का हिसाब खोज रहे हैं बता दे की लोकसभा चुनाव के घोषणा होते ही नेताजी भी अब काफी परेशान दिख रहे हैं कि आखिर रूठे हुए मतदाताओं को कैसे मनाया जाए चुकी इन्हीं के बदौलत इस बार नैया पार लगानी है ऐसे में अगर मतदाता रूठ जाते हैं तो कई परेशानियां सामने आ खड़ी हो जाएगी। हालांकि नेताजी मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ते दिख रहे हैं।