रिपोर्ट वैभव गुप्ता रामपुर मनिहारान
प्रातः जैन धर्म के 24वे तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी भगवान की प्रतिमा का अभिषेक, शांतिधारा कर पूजा प्रक्षाल की गई। नगर में चातुर्मास कर रहे जैन सन्त आचार्य श्री 108 भारत भूषण जी महाराज ससंघ के सानिध्य में प्राचीन जैन मंदिर जी में श्री जी के अभिषेक और शांतिधारा के पश्चात महावीर पूजा शीतलनाथ पूजा, सोलहकरण पूजा, पंचमेरू पूजा ,ओर दशलक्षण पूजा ओर उत्तम तप धर्म की पूजा मुख्य रूप से की गई। इसके बाद श्री 1008 शांतिनाथ महामंडल विधान किया गया ।

इस अवसर पर श्रद्धालुओ को आशीर्वचन देते हुए जैन मुनि आचार्य श्री 108 भारत भूषण जी महाराज ने कहा कि दशलक्षण धर्म का सातवा दिन उत्तम तप धर्म का दिन है। अपने जीवन में तप को अपनाए ।आत्म शुद्धि के लिये इच्छाओं का रोकना तप है। मानसिक इच्छायें साँसारिक बाहरी पदार्थों मैं चक्कर लगाया करती हैं अथवा शरीर के सुख साधनों में कईन्द्रिय रहती हैं। अतः शरीर को प्रमादी न बनने देने के लिये बहिरंग तप किये जाते हैं और मन की वृत्ति आत्म-मुख करने के लिये अन्तरंग तपों का विधान किया गया है। दोनों प्रकार के तप आत्म शुद्धि के अमोध साधन हैं।

शाम के समय मंदिर जी में श्री जी की आरती की गई उसके बाद सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतियोगिता लड़ाई एक कुर्सी की कराई गई। सभी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। इस दौरान जैन समाज के प्रधान मनोज जैन उपप्रधान निपुण जैन मंत्री अभिषेक जैन, अनुराग जैन, शशांक जैन, अनुराग जैन, विपुल जैन, जिनेन्द्र जैन, अमित जैन, विजय जैन, आर्जव जैन, भूपेंद्र जैन, अक्षत जैन सहित समाज के सैकड़ों महिला पुरुष मौजूद रहे।