मोतिहारी / राजन द्विवेदी ।
धर्मार्थकाममोक्ष चतुर्विध पुरुषार्थ को प्रदान करने वाली अखिल ब्रह्माण्ड नायिका आद्यशक्ति भगवती दुर्गा की आराधना के लिए शारदीय (आश्विन) नवरात्र का प्रारंभ आश्विन शुक्लपक्ष प्रतिपदा तदनुसार 03 अक्टूबर गुरुवार से हो रहा है। इस दिन प्रतिपदा तिथि का मान रात्रि 01:09 बजे तक है,अतः कलश स्थापन के लिए शुभ मुहूर्त्त प्रातःकाल सूर्योदय से सम्पूर्ण दिन पर्यन्त प्रशस्त है।
आश्विन मास के शुक्लपक्ष में आदि महाशक्ति भगवती दुर्गा के नव रूपों का क्रमशः महोत्सव के साथ पूजन-अर्चन करने के लिए इसे हम शारदीय नवरात्र के रूप में मनाते हुए प्रतिपदा को घर-घर में कलश स्थापित कर अथवा अपनी शक्ति-सामर्थ्य के अनुसार अनुष्ठान,पूजन व दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।
उक्त जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी।
उन्होंने बताया कि देवी भागवत के अनुसार माता दुर्गा का वाहन शेर है,लेकिन हर वर्ष नवरात्र में भगवती अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी पर आतीं हैं। इस वर्ष नवरात्र प्रारंभ का दिन गुरुवार होने से भगवती का आगमन `गुरौ शुक्रे च दोलायांʼ के अनुसार डोला पर हो रहा है जिसका फल `दोलायां मरणं ध्रुवम् ʼ के अनुसार मृत्युकारक है। वही शनिवार को विजयादशमी पड़ने के कारण `शनिभौमदिने यदि सा विजया चरणायुद्धयानकरी विकला ʼ के अनुसार भगवती का प्रस्थान मुर्गा पर होगा जिसका फल व्याकुलता प्रदान करने वाला है।