सहारनपुर/उप्र/रामपुर मनिहारानअखिल भारतीय सोहम महामंडल पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानन्द जी महाराज ने कहा कि जीवनोत्कर्ष के लिए सत्संग परम आवश्यक है इसके माध्यम से मनुष्य के जीवन का अर्थ बदल जाता है।

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रिपोर्ट वैभव गुप्ता।


अखिल भारतीय सोहम मंडल की स्थानीय शाखा के तत्त्वावधान में आयोजित सात दिवसीय संत सम्मेलन के दूसरे दिन महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद जी महाराज के कृपापात्र एवं सोहम पीठाधीश्वर श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज ने कहा कि जीवनोत्कर्ष हेतु सत्संग अत्यंतावश्यक है। उन्होंने कहा कि सत्संग के माध्यम से मनुष्य के जीवन यापन का तरीका बदल जाता है और अनेकों समस्याओं को सहन करने की समझ आती है। उन्होंने कहा कि सत्संग के माध्यम से ही जीवन का सार ,लक्ष्य, मूल्य और उद्देश्य समझ में आता है। सत्संग से जीवन की गलतियों में सुधार किया जा सकता है। इसी माध्यम से हमें अपनी संस्कृति, धर्म व कर्म आदि के विषय में ज्ञान होने के साथ साथ अच्छे बुरे का अंतर भी समझ में आता है। उन्होंने कहा कि जीवनोत्कर्ष के लिए वैराग्य, निष्काम कर्मयोग, भक्तियोग एवं ज्ञानयोग आदि साधनों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। हमें हमारे पूर्वजों के इतिहास की जानकारी होती है। भगवान और भक्तों की चर्चाएं सुनकर हृदय पवित्र होता है।वर्तमान परिपेक्ष्य में समाज में फैली हुई बुराइयों को दूर करने की आवश्यकता है।इसके सुधार की कुंजी सत्संग ही है। संतसेवा, देवसेवा अतिथि सेवा, माता- पिता की सेवा, बुजुर्गो की सेवा,अनाथ असहाय की सेवा, गौसेवा आदि विषयों को सत्संग के माध्यम से ही बताया जा सकता है। इस अवसर पर स्वामी प्रणवानंद, स्वामी नारायणानंद, स्वामी राजेश्वरानन्द, स्वामी सच्चिदानंद, स्वामी गोपालानंद और स्वामी अरुण स्वरूप जी महाराज ने भी श्रोताओं का सत्संग के द्वारा मार्ग दर्शन किया। इस दौरान कुलवीर सिंह सैनी, संजय पंवार, प्रधान जयराज पंवार आदि सहित काफी संख्या में नगर व क्षेत्र से पहुंचे श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।